जाने क्यों डिमांड में रहता है कड़कनाथ मुर्गे के मांस, कमलनाथ सरकार कर रही है सेल

आदिवासी युवाओं को रोजगार देने और मध्य प्रदेश की जनता को शुद्ध खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के मकसद से कमलनाथ सरकार ने अनोखी योजना शुरू की है। जिसके चलते मिलावटखोरों के खिलाफ पिछले 2 माह से युद्ध छेड़ा हुआ है और इसी कड़ी में सरकार के अधीन आने वाले कुक्कुट विकास निगम ने भोपाल में कड़कनाथ चिकन पार्लर भी खोला है जहां पर मशहूर कड़कनाथ चिकन का मांस उपलब्ध कराया जा रहा है। इस पार्लर में मशहूर कड़कनाथ का चिकन और अंडे मिल रहे हैं। सरकार की मंशा तो लोगों को कड़कनाथ का शुद्ध मांस देने की है लेकिन बीजेपी ने इसमें धर्म का तड़का लगाकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कड़कनाथ के खून का रंग भी सामान्यतः काले रंग का होता है। जबकि आम मुर्गे के खून का रंग लाल पाया जाता है। इसका मांस काफी कड़ा होता है। सामान्य मुर्गों के पकने की तुलना में कड़कनाथ का मांस दोगुना समय लेता है। इसका स्वाद भी लाजवाब होता है। लोगों के बीच प्रचलन है कि कड़कनाथ के मांस का सेवन करने से सेक्सुअल पावर बढ़ता है और यह शक्तिवर्धक दवाइयों से ज्यादा कारगर होता है। इसे देसी व‍ियाग्रा भी कहते हैं। स्थानीय भाषा में कड़कनाथ को कालीमासी भी कहते हैं क्योंक‍ि इसका मांस, चोंच, जुबान, टांगे और चमड़ी, सब कुछ काला होता है। इसमें व‍िटाम‍िन बी 1, बी 2, बी 6 और बी 12 भरपूर मात्रा में होता है।

कड़कनाथ मुर्गा प्रोटीनयुक्त होता है और वसा नाम मात्र का होता है इसल‍िए द‍िल और डायब‍िटीज के रोग‍ियों के ल‍िए कड़कनाथ बेहतर दवा का काम करते हैं। कड़कनाथ मुर्गे की कीमत 900 से 1200 रुपये प्रत‍ि क‍िलो होती है जबकि मुर्गी की कीमत 3000 से 4000 रुपये के बीच होती है। इसके अंडे की कीमत भी 50 रुपये के करीब होती है। अंडे की रेट भी बदलते रहते हैं।

कुछ महीने पहले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कड़कनाथ के जीआई टैग को लेकर व‍िवाद भी हुआ था। इसमें झाबुआ को जीआई टैग दे द‍िया गया था। जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) मुख्य रूप से कुछ विशिष्ट उत्पादों (कृषि, प्राक्रतिक, हस्तशिल्प और औधोगिक सामान) को दिया जाता है, जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में 10 वर्ष या उससे अधिक समय से उत्पन्न या निर्मित हो रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य उन उत्पादों को संरक्षण प्रदान करना है।