के.कविता को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, नहीं मिली जमानत, निचली अदालत में जाने का आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता को जमानत देने से इनकार कर दिया है। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी कविता को ईडी ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार किया है। उच्चतम न्यायालय ने कविता से जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बीआरएस नेता जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख कर सकती हैं या किसी अन्य उपाय का सहारा ले सकती हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि उसकी नीति सभी के लिए एक समान है। किसी को इस आधार पर जमानत के लिए सीधे शीर्ष अदालत में जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि वह एक राजनीतिक व्यक्ति है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कविता से निचली अदालत में जाने को कहा। पीठ ने कहा कि यह एक प्रक्रिया है जिसका यह अदालत पालन कर रही है और वह प्रोटोकॉल को नजरअंदाज नहीं कर सकती। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी जमानत के लिए सबसे पहले ट्रायल कोर्ट का रुख करना चाहिए। पीठ ने बीआरएस नेता का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर वकील कपिल सिब्बल से कहा, हम बहुत स्पष्ट हैं। कोई केवल इसलिए सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकता क्योंकि वह एक राजनीतिक व्यक्ति है। इसके लिए हम प्रक्रिया को दरकिनार कर सकते हैं। हमें अपना व्यवहार सभी के लिए एक समान करना होगा। हर किसी को पहले ट्रायल कोर्ट से गुजरना होगा।

कपिल सिब्बल से बोली कोर्ट इसे राजनीतिक मंच न बनाएं

कपिल सिब्बल ने अदालत से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। हालांकि अदालत ने कहा कि उसे कानून का पालन करना होगा। अदालत ने कहा, “कृपया, इसे राजनीतिक मंच न बनाएं... आप हमसे जो करने के लिए कह रहे हैं वह संभव नहीं है। आप हमसे अनुच्छेद 32 के तहत किसी याचिका पर सीधे विचार करने के लिए सिर्फ इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वह व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट आ सकता है। ऐसा नहीं हो सकता। नियम सभी के लिए एक समान होंगे।

निराश होकर सिब्बल ने कहा, इस अदालत का इतिहास लिखा जाएगा, लेकिन यह स्वर्णिम काल नहीं कहा जाएगा। इस पर पीठ ने जवाब दिया, “कोई बात नहीं। हम देखेंगे। हमें एक समान व्यवहार करना होगा।” इसी के साथ पीठ ने कविता की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके अलावा, न्यायालय ने कविता की उस याचिका पर ईडी से छह सप्ताह में जवाब मांगा जिसमें उन्होंने पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती दी है।

कविता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पीठ ने कहा, ‘‘प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका लंबित मामलों के साथ ली जाएगी।’’ सिब्बल ने शुरुआत में कहा कि सरकारी गवाह के बयान के आधार पर लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि इस समय वह मामले के गुण-दोषों पर विचार नहीं कर रही।