जम्मू-कश्मीर: दूसरे राज्यों के छात्रों को भी वापस भेजा गया, अचानक बदले हालात से उड़ी पाकिस्तान की नींद, संयुक्त राष्ट्र को लिखी चिट्टी

जम्मू कश्मीर में अचानक बदले हालात का असर छात्रों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। एनआईटी श्रीनगर में पढ़ाई करने वाले बाहर के छात्रों को घर भेज दिया गया है। छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर ये फैसला लिया है। श्रीनगर की मशहूर डल झील में हाउस बोट में ठहरे विदेशी पर्यटकों को भी पुलिस वापस भेज रही है। पर्यटकों के वापस जाने से शिकारा और हाउस बोट संचालक गुस्से में हैं। इनका कहना है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, इससे हमारा व्यापार प्रभावित हो रहा है। वही सरकार ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों के कर्मचारियों को बिना अनुमति छुट्टी नहीं देने का आदेश भी जारी किया गया है। कश्मीर गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों को तुरंत हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि अगले आदेश तक हॉस्टल की सुविधा छात्रों के लिए उपलब्ध नहीं रहेगी। इसी बीच राज्य सरकार ने कुपवाड़ा के अस्पताल में मेडिकल कंट्रोल रूम बनाने का आदेश दिया है।

बता दे, जम्मू-कश्मीर के प्रिंसिपल सेक्रटरी (होम) की तरफ से जारी सिक्यॉरिटी अडवाइजरी के बाद स्थानीय नागरिकों से लेकर पर्यटक तक सभी परेशान दिख रहे हैं। पहले भारी तादाद में सुरक्षाबलों को कश्मीर भेजा गया और उसके बाद शुक्रवार को सरकार ने एक ऐसी एडवाजरी जारी कर दी जिससे लोगों की घबराहट और बढ़ गई। अडवाइजरी में अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से 'यात्रा की अवधि कम करने' और 'जल्द से जल्द लौटने' को कहा गया है। दलील दी गई कि ऐसा अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की खुफिया जानकारी मिलने की वजह से किया गया है।

बता दे, अमरनाथ यात्रा 15 अगस्त तक चलनी थी लेकिन जम्मू कश्मीर गृह विभाग की एडवायजरी के बाद सारे बेस कैंप खाली हो रहे हैं। किश्तवाड़ जिले में 43 दिन तक चलने वाले मचैल मठ यात्रा को भी निलंबित कर दिया गया है। जम्मू में प्रशासन ने अमरनाथ यात्रियों के लिए लगे लंगरों को अगले दो दिनों में समेटने को कहा है। इस आदेश के बाद लंगर वाले बोरिया बिस्तर समेटने में लगे हैं। अमरनाथ यात्री निवास परिसर में लगे एकलौते लंगर में भी सामान समेटने का काम शुरू हो गया है। एडवायजरी जारी होने के बाद पर्यटक भी अपनी यात्रा बीच में रोककर वापस लौट रहे हैं। श्रीनगर एयरपोर्ट पर ऐसे लोगों की भारी भीड़ हो गई है, जो वापसी की टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।

वही जम्मू कश्मीर में अचानक बदले हालात ने पाकिस्तान की भी नींद उड़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाते हुए पाकिस्तान ने कहा कि एलओसी पर हालात बिगड़ रहे हैं। पाकिस्तान कह रहा है कि भारत की ओर से आतंकी हमले की आशंका के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र को यह चिट्टी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने लिखी है।

वही शनिवार को भारतीय जवानों को बड़ी कामयाबी मिली है। जवानों ने पाकिस्तान की एक्शन टीम (बैट) की तरफ से की जा रही घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। इस कारवाई में पांच से सात घुसपैठियों को ढेर कर दिया। केरन सेक्टर में मारे गए घुसपैठियों में पाकिस्तानी सेना के जवान और आतंकी भी शामिल हैं।

शनिवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मांग की कि सरकार सोमवार को संसद में इस मुद्दे पर स्थिति साफ करे।

पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को एकजुट होना चाहिए ताकि यह संदेश जाए कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के साथ नहीं खेल सकती।

कश्मीर के हालात को देखते हुए ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर जाने से परहेज करें। विदेशी एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय (एफसीओ) ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेश का भी जिक्र किया है, जिसमें अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों से लौटने के लिए कहा गया है। एफसीओ ने बम, ग्रेनेड हमले, गोलीबारी और अपहरण सहित अप्रत्याशित हिंसा का खतरा जताया है। ब्रिटेन सरकार ने कहा कि एफसीओ जम्मू शहर, एयर माध्यम से जम्मू की यात्रा और लद्दाख को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में नहीं जाने की सलाह देता है।

कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की है। पिछले दिनों में राज्य में बड़ी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती और उसके बाद अमरनाथ यात्रा रोके जाने को लेकर हैरानी जताते हुए कांग्रेस ने केंद्र सरकार से स्थिति साफ करने को कहा है।