राष्‍ट्रपति शासन लगने से जम्‍मू-कश्‍मीर में होंगे ये बदलाव...

जम्मू-कश्मीर में छह महीने का राज्यपाल शासन पूरा होने के बाद बुधवार मध्यरात्रि से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। महबूबा मुफ्ती नीत गठबंधन सरकार से जून में भाजपा की समर्थन वापसी के बाद जम्मू-मश्मीर में राजनीतिक संकट बना हुआ था। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने एक अधिघोषणा पर हस्ताक्षर कर वहां केन्द्रीय शासन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश संबंधित रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी थी। इस संदर्भ में आइए जानते हैं कि राष्‍ट्रपति शासन लगने से राज्‍य में प्रशासनिक स्‍तर पर क्‍या बदलाव होंगे?

- इससे केंद्रीय कैबिनेट को आतंकवाद से ग्रस्त इस राज्य के बारे में तमाम नीतिगत फैसले लेने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वहां केन्द्रीय शासन लगाने की एक अधिघोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए।

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने वाली राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की रिपोर्ट पर सोमवार को फैसला किया था। संविधान के अनुच्छेद 74(1)(आई) के तहत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को मदद करेगी और सलाह देगी।

- राष्ट्रपति शासन की अधिघोषणा के बाद संसद राज्य की विधायिका की शक्तियों का इस्तेमाल करेगी या उसके प्राधिकार के तहत इसका इस्तेमाल किया जाएगा।

- जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान है। ऐसे मामलों में जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत वहां छह माह का राज्यपाल शासन अनिवार्य है। इसके तहत विधायिका की तमाम शक्तियां राज्यपाल के पास होती हैं।

- महबूबा मुफ्ती नीत गठबंधन सरकार से जून में भाजपा की समर्थन वापसी के बाद जम्मू-मश्मीर में राजनीतिक संकट बना हुआ है। गौरतलब है कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन के आधार पर पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था जिसके बाद राज्यपाल ने 21 नवंबर को 87 सदस्यीय विधानसभा भंग कर दी थी।

तत्कालीन विधानसभा में दो सदस्यों वाली सज्जाद लोन की पीपुल्स कान्फ्रेंस ने भी तब भाजपा के 25 सदस्यों और अन्य 18 सदस्यों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। बहरहाल राज्यपाल ने यह कहते हुए विधानसभा भंग कर दी कि इससे विधायकों की खरीद- फरोख्त होगी और स्थिर सरकार नहीं बन पाएगी। अगर राज्य में चुनावों की घोषणा नहीं की गई तो वहां राष्ट्रपति शासन अगले छह महीने तक चलेगा।

वहीं, जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के आदेश पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में चुनाव होना चाहिए। मीडिया से बात करते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि राज्य में गवर्नर और राष्ट्रपति का शासन खत्म होना चाहिए। यहां चुनाव होना चाहिए, ताकि राज्य के लोग अपना प्रतिनिधि चुन सकें, जो काम कर सकते हैं।' जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के छह महीने मंगलवार को पूरे हो गए हैं।

राज्य संविधान के मुताबिक, राज्यपाल शासन छह महीने से ज्यादा समय तक लागू नहीं रखा जा सकता। अगर इस अवधि के बाद भी सरकार का गठन नहीं होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। ऐसे हालात में राज्यपाल, राष्ट्रपति और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में सरकार के गठन तक राज्य का संचालन करेंगे।