अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी घाटी का माहौल शांतिपूर्ण, DGP बोले - कहीं कोई हिंसा नहीं, हालातों का जायजा लेने श्रीनगर पहुंचे डोभाल

मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन और अनुच्छद 370 पर लिए फैसले के बाद भी घाटी का माहौल शांतिपूर्ण बना हुआ है। धारा 370 के हटने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कॉफ्रेंस विधेयक का विरोध कर रही है। यही वजह है कि उन्हें फिलहाल हिरासत में रखा गया है। उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती को सोमवार देर रात को हिरासत में लेकर गेस्ट हाउस में रखा गया है। घाटी में सुरक्षा व्यवस्था पहले से ज्यादा चाक-चौबंद कर दी गई है। स्थिति पर नजर रखी जा रही है। राज्य में हिंसा की एक भी खबर अब तक सामने नहीं आई है। वही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य के हालातों का जायजा लेने के लिए सोमवार रात को ही कश्मीर पहुंच चुके हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां किसी तरह का कोई प्रदर्शन न हो और दिक्कतें न आए इसके लिए सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। केंद्र की नई व्यवस्था के मुताबिक अब जम्मू-कश्मीर की पुलिस अब सीधे केंद्र सरकार के अंतर्गत काम करेगी। घाटी में अभी भी हजारों की संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं और अगले आदेश तक वहां ही रहेंगे।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह का कहना है कि कश्मीर घाटी में अभी कोई भी हिंसा नहीं हुई है। अगर कोई इस तरह की खबर फैला रहा है तो वह गलत खबर है। उन्होंने कहा कि नॉर्थ, साउथ और सेंट्रल कश्मीर में पूरी तरह से शांति का माहौल है।

इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि अगर अनुच्छेद 370 और 35-ए पर केंद्र सरकरा कोई भी फैसला करती है तो घाटी का माहौल तनावपूर्ण हो सकता है। जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक में सक्रिय पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस लीडर उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं ने कहा था कि अगर 35-ए और अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ की गई तो घाटी का माहौल हिंसक हो जाएगा।

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मौजूदा समय में अर्धसैनिक बलों के करीब एक लाख जवान मोर्चा संभाले हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में हलचल तेज है। श्रीनगर और जम्मू में धारा 144 लागू हो चुकी है। दोनों शहरों में मोबाइल, इंटरनेट सेवा भी बंद है। यह पहला मौका है जब घाटी में मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं के साथ लैंडलाइन सर्विस को भी बंद कर दिया गया है। करगिल युद्ध के दौरान भी लैंडलाइन सर्विस को नहीं बंद किया गया था।

बता दे, अनुच्छेद 370 को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले पर पूरी दुनिया की नजर है। अमेरिका की माने तो वह भारत के फैसले पर बारीकी से नजर रखा रहा है। अमेरिकी प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टागस ने कहा कि हम भारत और पाकिस्तान से एलओसी पर शांति और स्थिरता बनाने की अपील करते हैं।

बता दें कि अब कश्मीर में अलग झंडा, अलग संविधान नहीं होगा। राज्य में सरकार का कार्यकाल 6 साल की बजाय 5 साल होगा। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख भी अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा।