सोशल मीडिया (Social Media) पर चल रही जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) आतंकवादी संगठन के प्रमुख मसूद अजहर (Masood Azhar) की पाकिस्तान (Pakistan) में मौत के बारे में चल रही खबरों के बारे में खुफिया एजेंसियां जांच में लगी हुई है। रविवार को अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इसके अलावा कोई जानकारी नहीं है कि अजहर का सेना के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसके गुर्दे खराब हो चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार सोशल मीडिया पर आज व्यापक रूप से इस तरह की खबरें चल रही हैं कि अजहर की मौत हो चुकी है, लेकिन अभी तक इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि अभी तक इस पर पक्की खबर आनी बाकी है कि आतंकवादी मसूद अजहर वाकई में अब इस दुनिया में नहीं है फिर उसे समर्थन और सुरक्षित पनाह देने वाले पाकिस्तान की ये कोई नई चाल है।
कौन है मसूद अजहर!मसूद अजहर का जन्म पाकिस्तान के बहावलपुर में हुआ था। जानकारी के मुताबिक अज़हर का पिता, अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक थे। उसका परिवार डेयरी और पॉल्ट्री का व्यवसाय करता था। उसकी पढ़ाई कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया में हुई और वह हरकत-उल-अंसार से जुड़ गया, यहीं से उसने आतंकी गतिविधियां शुरू की। वह 1994 के करीब श्रीनगर आ गया। उसे उसी साल फरवरी में गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया। आतंकियों ने मसूद अजहर को छुड़ाने की कोशिश शुरू की। 1995 में जम्मू-कश्मीर से कुछ विदेशी पर्यटकों को अगवा कर लिया गया। आतंकियों ने पर्यटकों को छोड़ने के बदल मसूद अजहर को जेल से रिहा करने की मांग शुरू की। लेकिन आतंकियों की चंगुल से एक विदेशी पर्यटक फरार हो गया। बाद में आतंकियों ने सभी पर्यटकों की हत्या कर दी।
इस तरह आतंक की दुनिया में रखा कदमअजहर ने आतंकवाद की दुनिया में पहला कदम काफी पहले ही रख दिया था। जानकारी के मुताबिक उसने पहले हरकत-उल-अंसर के जनरल सेक्रेटरी के रुप में काम किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1994 में कश्मीर में हुए आतंकी हमले में इसी नेटवर्क का हाथ था जिसमें मसूद की बड़ी भूमिका थी।
हालांकि उसे उसी साल फरवरी के महीने में गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया गया। तब तक अमेरिका को उसके ताकत का पता लग चुका था और उसने हरकत-उल-अंसर (HuA) को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन की सूची में इसका नाम डाल दिया। इस सूची से बाहर आने के लिए आतंकी संगठन ने समूह का नाम बदलकर हरकत-उल-मुजाहिद्दीन कर दिया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत में हुए पठानकोट हमले के बाद उसे हिरासत में ले लिया था। भारत ने मसूद अजहर को उसकी आतंकी गतिविधियों की वजह से उसे अपने सबसे वांक्षित आतंकवादियों की सूची में रखा हुआ है।
आतंकी समूह को और भी मजबूत बनाने के लिए अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का गठन किया। इसमें पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी ने आईएसआई ने काफी साथ दिया। आईएसआई ने उसे काफी फंड दिया और हर तरह से उसे सपोर्ट किया। अफगानिस्तान स्थित तालिबान और ओसामा बिन लादेन के समूह ने भी इसे खड़ा करने में उसका काफी साथ दिया।
इन बड़े हमलों में हाथइसके बाद वह अपने भाषणों के चलते पाकिस्तान के लिए हीरो बन गया और दुनिया के लिए दुश्मन। अपने भाषणों में गैर मुसलमानों के प्रति जहर और कश्मीर को लेकर भड़काउ भाषणों से आतंक की दुनिया में उसका नाम बड़ा बनता गया। 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी जैश ने ही ली। हमले के बाद एक वीडियो जारी कर उसने इसकी पुष्टि की थी। इसके अलावा जनवरी, 2016 को पठानकोट हमले में 7 भारतीय जवानों की जान भी इसी संगठन ने ली। वहीं सितंबर 2016 में भी हुए उरी हमले के पीछे भी इस संगठन का हाथ था। इस हमले में 19 भारतीय जवान शहीद हुए थे।
1999 में भारत सरकार ने अजहर समेत तीन आतंकियों को छोड़ा थापाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहावलपुर के रहने वाले अजहर ने 2000 में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया था। वर्ष 1999 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने इंडियन एयरलाइन्स के अपहृत विमान आईसी-814 को छुड़ाने के बदलने अजहर को छोड़ दिया था। 50 साल के अजहर पर 2001 के संसद हमले की साजिश रचने का, जम्मू कश्मीर विधानसभा पर आत्मघाती हमले और पठानकोट वायु सेना केंद्र तथा पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रचने के भी आरोप हैं। इस बीच, नई दिल्ली में खुफिया एजेंसियां मसूद अजहर की पाकिस्तान में मौत के बारे में सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इसके अलावा कोई जानकारी नहीं है कि अजहर का सेना के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसके गुर्दे खराब हो चुके हैं।
इस तरह बढ़ने लगी ताकतपाकिस्तान से बड़ी संख्या में जिहादी मसूद के इस नए संगठन में शामिल होने लगे। इस संगठन का एकमात्र मकसद था कश्मीर को किसी भी कीमत पर भारत से आजाद कराना। धीरे-धीरे इसने कश्मीर में छोटे-बड़े हमले करने शुरू कर दिए और इसके साथ ही उसकी ताकत बढ़ने लगी।
अब पाकिस्तान पर भारत सहित पूरी दुनिया का दबाव बढ़ने लगा जिसके बाद पाकिस्तान ने 29 दिसंबर 2001 को उसे भारतीय संसद पर आतंकी हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया। हालांकि हर बार की तरह पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट के तीन सदस्यीय समीक्षा बोर्ड ने 14 दिसंबर 2002 को उसे रिलीज कर दिया।
भारत के दबाव में झुका पाक, ग्लोबल आतंकी घोषित करने का विरोध वापस ले सकता हैपुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत के एक्शन से पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है, ऐसे में वो आतंकी मसूद अजहर के साथ खड़ा नहीं दिखना चाहता। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान यूएन सुरक्षा परिषद में मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध नहीं करेगा। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार पाकिस्तान के बड़े सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि देश को फैसला लेना होगा कि व्यक्ति महत्वपूर्ण है या देश का व्यापक राष्ट्रीय हित अहम है।
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने बुधवार को पाकिस्तान में रहने वाले अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नये सिरे से प्रस्ताव रखा था। ऐसा होने से अजहर के वैश्विक रूप से यात्रा करने पर पाबंदी लग जाएगी, उसकी संपत्तियां फ्रीज हो जाएंगी। इस बीच ये भी खबर है कि ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से बात कर आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।