क्या NASA के ऑर्बिटर LRO की तस्वीरों से खुलेंगे विक्रम लैंडर से जुड़े कई रहस्य?

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) अपने लूनर ऑर्बिटर LRO से विक्रम की लैंडिंग साइट की तस्वीरें आज जारी करेगा। नासा का ये ऑर्बिटर 17 सितंबर को यानी आज ही विक्रम लैंडर के लैंडिंग साइट के ऊपर से चांद का चक्कर लगाएगा और उसके नजदीक से गुजरेगा।

हालांकि, इस बात की भी चिंता जताई जा रही है कि चांद की उस जगह पर अंधेरा होने की वजह से लैंडर विक्रम और उसकी लैंडिंग साइट की तस्वीरें धुंधली हो सकती हैं। ये साफ नहीं हो सका है कि नासा का ये ऑर्बिटर लैंडिंग साइट के नजदीक आज कितने बजे तक पहुंचेगा। दरहसल, 7 सितंबर को तड़के 1:50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था। जिस समय चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह थी। यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी। चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी। 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा। आज 16 सितंबर है, यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से कुछ घंटे पहले का वक्त यानी, चांद पर शाम का वक्त शुरू हो चुका है।

नासा के 'लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर' से हैं उम्मीदें

नासा के इस ऑर्बिटर का नाम 'लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर' (LRO) है। 7 सितंबर के शुरुआती घंटों में चंद्रमा से महज 2.1 किमी की दूरी पर विक्रम लैंडर का इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था। इसके बाद चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर की मदद से चांद पर मौजूद विक्रम की लोकेशन का पता लगा था। लेकिन विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं स्थापित हो सका था।

LRO से ताकतवर अपना ऑर्बिटर, फिर भी लेनी पड़ रही है मदद

वैसे भी इस समय चांद पर शाम के करीब 5 बज रहे होंगे। अगले 3 से 4 दिनों में चांद पर हो जाएगी रात। यानी 20 से 21 सितंबर को चांद के उस जगह पर अंधेरा हो जाएगा, जहां विक्रम लैंडर गिरा पड़ा है। LRO विक्रम लैंडर की तस्वीर 75 किमी की ऊंचाई से तस्वीर लेगा। यह चांद की सतह पर मौजूद करीब 50 सेंटीमीटर तक की ऊंचाई वाले वस्तु की तस्वीर ले सकता है। वहीं, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर इससे बेहतर और स्पष्ट तस्वीर ले सकता है। क्योंकि, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का ऑप्टिकल हाई-रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) जमीन से 30 सेंटीमीटर तक की ऊंचाई वाले वस्तु की हाई-रिजोल्यूशन तस्वीर ले सकता है। खगोलविदों का कहना है कि इसरो के ऑर्बिटर के कैमरे की ताकत ज्यादा है लेकिन उसके वैज्ञानिक OHRC से मिले डेटा से सॉफ्ट लैंडिंग वाली घटना का विश्लेषण नहीं कर सकते। इसके लिए उन्हें LRO की मदद लेनी होगी। LRO के पास पुराना डेटा भी है। वह यह बता सकता है कि विक्रम लैंडिंग से पहले और बाद में लैंडिंग वाली जगह पर क्या बदलाव हुए। इसलिए LRO की मदद ली जा रही है।

तस्वीरों से विक्रम की लैंडिंग को लेकर कई रहस्यों का खुलेगा राज

आज की तस्वीरों से विक्रम की हार्ड लैंडिंग के बाद चांद पर उसके लैंडिंग साइट पर क्या बदलाव आए थे और विक्रम चांद की सतह पर किस हाल में है इसका पता चल सकता है। साइट की तस्वीरें इसरो को इसका विश्लेषण करने में मदद कर सकती हैं। चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग कर भारत दुनिया का चौथा देश बनने वाला था। लेकिन संपर्क टूटने की वजह से उसकी हार्ड लैंडिंग हुई थी। इसरो ने कहा है कि विक्रम लैंडर के साथ संचार स्थापित करने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं।