बड़ी उपलब्धि : सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में स्थापित हुआ Chandrayaan-2

भारत का महात्वकांक्षी चंद्रमिशन चंद्रयान-2 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करा दिया है। इसरो वैज्ञानिकों ने सुबह 8:30 से 9:30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा LBN#1 में प्रवेश कराया। चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा में प्रवेश कराना वैज्ञानिकों के लिए कड़ी चुनौती थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन इसे लेकर आज सुबह 11 बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। जिसमें वह मिशन को लेकर बात करेंगे।

अब चंद्रयान-2, 118 किमी की एपोजी (चांद से कम दूरी) और 18078 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) वाली अंडाकार कक्षा में अगले 24 घंटे तक चक्कर लगाएगा। इस दौरान चंद्रयान की गति को 10.98 किमी प्रति सेकंड से घटाकर करीब 1.98 किमी प्रति सेकंड किया गया।

चंद्रयान-2 की गति में 90 फीसदी की कमी की गई थी ताकि वह चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर चांद से न टकरा जाए। 20 अगस्त यानी मंगलवार को चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का प्रवेश कराना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन, हमारे वैज्ञानिकों ने इसे बेहद कुशलता और सटीकता के साथ पूरा किया। इससे पहले इसरो के चेयरमैन डॉ। के। सिवन ने बताया था कि चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किमी तक रहता है। ऐसे में चंद्रयान-2 की गति को कम करना पड़ेगा। नहीं तो, चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर वह उससे टकरा भी सकता है।

चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद 31 अगस्त तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव किया जाएगा। चंद्रयान-2 को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार बार कक्षा बदली जाएगी, जिसके बाद यह चांद की अंतिम कक्षा में दक्षिणी ध्रुव पर करीब 100 किमी ऊपर से गुजरेगा। इसी दौरान यानी 2 सितंबर को यान का विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। विक्रम चार दिन तक 30 गुणा 100 किमी के दायरे में चांद का चक्कर लगाएगा। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव में सतह पर 7 सितंबर को अपना कदम रखेगा।