
स्पेस में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कमाल करते हुए
अपना एक नया आयाम खड़ा कर दिया है और एक नई उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने
स्पेडेक्स मिशन में अनडॉकिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया है।
ज्ञातव्य है कि मिशन की लॉन्चिंग के बाद 2 अलग-अलग सेटेलाइट्स को स्पेस में आपस में जोड़कर इसरो ने इतिहास लिखा था। आपस में जुड़े इन दो सेटेलाइट्स को आज फिर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया। स्पेस में 2 अलग-अलग सेटेलाइट को जोड़ने और अलग करने के ऐसे प्रयोग और भी होंगे। आज की ये सफलता भविष्य के डीप स्पेस मिशन और स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
घटनाओं का मुख्य क्रम—SDX-2 एक्सटेंशन सफल
—कैप्चर लीवर 3 को योजना के अनुसार रिलीज़ किया गया
—SDX-2 में कैप्चर लीवर को अलग किया गया
—SDX-1 और SDX-2 में डिकैप्चर कमांड जारी किया गया
स्पेडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिशन है। यह टेक्नोलॉजी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं, जैसे चंद्रमा पर भारतीय के जोन, चंद्रमा से नमूना वापसी, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) के निर्माण और संचालन आदि के लिए जरूरी है। जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेटों के लॉन्चिंग की आवश्यकता होती है, तब इन-स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी अनिवार्य होती है।
मिशन का उद्देश्यस्पेडेक्स मिशन का प्राथमिक उद्देश्य निम्न भू वृत्ताकार कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान (एसडीएक्स01, जिसका नाम चेज़र है, और एसडीएक्स02, जिसका नाम टार्गेट है) उसके मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी को डेवलेप और प्रदर्शित करना है।
द्वितीयक उद्देश्यों में डॉक किए गए अंतरिक्ष यान के बीच विद्युत शक्ति के अंतरण का प्रदर्शन, जो अंतरिक्ष रोबोटिक्स जैसे भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक है। समग्र अंतरिक्ष यान नियंत्रण। अनडॉक करने के बाद नीतभार संचालन।