कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप ने दुनिया में सब कुछ उलट-पलट कर दिया है। कई बड़े-बड़े आयोजनों को इस वायरस के चलते रद्द करना पड़ रहा है। इसी में शतरंज का टूर्नमेंट भी शामिल है। बुंडेसलीगा चेस में पांच बार के वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद, जो एससी बैडेन के लिए खेल रहे थे, सोमवार (16 मार्च) को जर्मनी से घर लौटने वाले थे लेकिन इस वायरस ने उन्हें जर्मनी में ही रुकने को मजबूर कर दिया। आनंद फरवरी से जर्मनी में हैं और अब एक सप्ताह से अधिक समय के लिए सेल्फ-आइसोलेशन में चले गए हैं। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार आनंद ने बताया कि यह मेरे लिए बहुत ही असामान्य अनुभव है। मेरी जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ और कई अन्य लोगों के साथ भी कि मुझे खुद को अलग-थलग करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
50 वर्षीय आनंद के इस महीने के अंत तक चेन्नै वापस आने की संभावना है। आनंद की पत्नी अरुणा भी काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि वह जर्मनी में हैं लेकिन हमें आभारी होना चाहिए कि उनकी स्थिति कई फंसे हुए लोगों की तुलना में बेहतर है। हम उन्हें मिस कर रहे हैं और उन्हें अच्छी तरह से खाने-पीने और बार-बार हाथ धोने के लिए कहते रहते हैं। उम्मीद है कि वह इस महीने के अंत तक भारत लौट आएंगे।
आनंद भी अपने परिवार को मिस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिन का एक अहम हिस्सा घर से फोन कॉल का आना है। अपने बेटे अखिल और अरुणा के साथ एक विडियो चैट करता हूं, जब सोकर उठता हूं। आनंद ने कहा कि वह एक-दूसरे से बात कर खुशी पाने की कोशिश करते हैं।
भारतीय ग्रैंडमास्टर आनंद दिन में अपना ज्यादातर समय या तो इंटरनेट पर दोस्तों के साथ चैट करने या लंबी सैर के लिए बिताते हैं। उन्होंने कहा, 'COVID-19 के प्रकोप के कारण दुनिया भर में मेरे दोस्त परेशान हैं। पहली बार हमारे पास इंटरनेट पर दोस्तों से बातचीत करने की संभावना है, ऐसा करना अच्छा है। इसके अलावा मैं दिन में एक या दो बार अच्छी लंबी सैर करता हूं। अगर मैं रास्ते में किसी से मिलता हूं, तो कुछ मीटर दूर ही रहता हूं।' आनंद अपने बेटे अखिल को भी उनकी फ्रेंच परीक्षा की तैयारी में मदद करते हैं। आनंद ने बताया कि उन्होंने फ्रेंच सीखी है और अखिल को मदद करते हैं।
आपको बता दे, दुनिया के 134 देश आज के समय में कोरोना वायरस से प्रभावित हैं। पूरी दुनिया इस वायरस से लड़ने के लिए जी जान से कोशिश कर रही है। चीन से फैले इस वायरस ने तकरीबन 160,564 लोगों को अपने चपेट में ले लिया है। इससे 5,962 लोगों की इससे मौत हुई है। लेकिन इस बीमारी से लड़कर स्वस्थ हो जाने वालों का प्रतिशत भी कम नहीं है। पूरी दुनिया में 75,959 लोग इस बीमारी से लड़कर बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं और अपने घर वापस जा चुके हैं। अगर मौजूदा संक्रमित केसों की बात की जाए तो दुनियाभर में अब भी 78,643 लोग इलाज करा रहे हैं। अगर सकारात्मक तौर पर देखा जाए तो करीब 72,989 लोग यानी करीब 93 प्रतिशत को मामूली परेशानियां हो रही हैं। यानी इन्हें आइसोलेट तो किया गया है लेकिन इलाज के लिए हल्की-फुल्की दवाओं की ही आवश्यकता पड़ रही है। वहीं 5,654 लोग ही गंभीर रूप से बीमार हैं। इनमें ज्यादातर उम्रदराज या ऐसे लोग हैं जिन्हें पहले से ही अन्य बीमारियों ने जकड़ रखा था।