भीलवाड़ा। राजस्थान में कोटड़ी क्षेत्र के चर्चित कोयला भट्टी प्रकरण में पोक्सो कोर्ट-2 ने दूनी (देवली) हाल तस्वारिया निवासी कालू पुत्र रंगनाथ कालबेलिया और भाई कानानाथ को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस मामले को रेयर ऑफ़ द रेयर माना है। इससे पहले कोर्ट ने दोनों को इस जघन्य मामले में दोषी करार दिया था।
इससे पहले कोर्ट ने दोनों सगे भाइयों को साढ़े नौ माह की सुनवाई के बाद दोषी ठहराया था। हत्या, गैंगरेप, साक्ष्य मिटाने, पॉक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में सजा पर सुनवाई हुई। पॉक्सो कोर्ट संख्या दो के न्यायाधीश अनिल कुमार गुप्ता ने दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। दोषियों को दी गई सजा के बाद कोर्ट में उपस्थित पीड़िता के माता-पिता कोर्ट रूम में फफक-फफक कर रो पड़े। उन्होंने जज से कहा यह बेटी आपकी है। आप इनको फांसी की सजा सुनाए।
कोर्ट ने दूनी (देवली) हाल तस्वारिया निवासी कालू पुत्र रंगनाथ कालबेलिया और भाई कानानाथ को जघन्य मामले में दोषसिद्ध करार दिया था। इनके परिवार के सात जनों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। पीड़ित किशोरी के परिजन फैसले के दौरान कोर्ट में मौजूद रहे। उधर, सात जनों को दोषमुक्त करने के विरुद्ध सरकार उच्च न्यायालय में अपील करेगी।
घटना वाले दिन बच्ची के माता- पिता रिश्तेदारी में गए हुए थे। नाबालिग बच्ची अकेले मवेशी चराने के लिए खेतों में चली गई। दोपहर को घर पर माता पिता लौटे। घर में बेटी के नहीं होने पर उन्होंने तलाश शुरू कर दी। गांव में गुमशुदा बेटी की खोजबीन की गयी। बेटी के गायब होने की सूचना गांव में आग की तरह फैल गई। रात 10 बजे तक बच्ची की तलाश जारी रही। खोजते-खोजते ग्रामीण कालबेलियों के डेरे तक पहुंचे। ग्रामीणों को रात में बारिश के समय कोयला भट्टी जलने पर शक हुआ।
मौके पर तलाश करने से बच्ची के कपड़े, कड़े, चप्पल और हड्डियां मिलीं। ग्रामीणों ने शक के आधार पर रात में कालबेलिया लोगों को पकड़ लिया। पिता ने बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी। मामले की जांच भीलवाड़ा के पुलिस उपाधीक्षक श्याम सुंदर बिश्नोई कर रहे थे। एडीजी क्राइम दिनेश एमएन और अजमेर रेंज आईजी लता मनोज ने मॉनिटरिंग की थी। पुलिस ने 473 पन्नों की चार्जशीट 30 दिन के अंदर कोर्ट में पेश कर दी। चार्जशीट में रूह कंपा देने वाले खुलासे किए गये थे।
सात आरोपी बरी, दो भाइयों को ठहराया दोषीनाबालिग लड़की से दो आरोपियों कोलू और कान्हा ने गैंगरेप के बाद लाठी मारकर बेहोश किया था। बेहोश होने के बाद मुख्य आरोपी पकड़े जाने से डर रहे थे। इसलिए उन्होंने कोयले की भट्टी में बच्ची को जिंदा डाल दिया। पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक वारदात में आरोपियों का साथ पत्नियों, बहन, मां और बाप ने भी दिया था। दिल दहला देने वाली घटना सामने आने के बाद राज्य सरकार ने महावीर किसनावत को विशेष लोक अभियोजक बनाया। अभियोजन पक्ष ने 43 गवाहों के बयान दर्ज करवाए।
दो आरोपियों सहित 9 महिला- पुरुष का ट्रायल पॉक्सो कोर्ट -2 में चला। अभियोजन पक्ष ने 222 दस्तावेज साक्ष्य पॉक्सो कोर्ट में पेश किए। भीलवाड़ा पॉक्सो कोर्ट संख्या दो के न्यायाधीश अनिल गुप्ता ने भट्टीकांड में फैसला सुनाया। उन्होंने सात आरोपियों को बरी करते हुए कालू और कान्हा को 376, 376 डी ,302, 326, 118, 120 बी पॉक्सो एक्ट सहित सभी धाराओं में दोषी ठहराया है।