
भारत के केंद्रीय बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में अपने सोने के भंडार में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इस अवधि में आरबीआई ने लगभग 25 टन सोना खरीदा, जिससे मार्च 2025 के अंत तक भारत का कुल गोल्ड रिजर्व 879.59 टन तक पहुंच गया, जो कि सितंबर 2024 में 854.73 टन था।
सात वर्षों में सबसे बड़ी वार्षिक खरीदपूरे वित्त वर्ष 2024-25 की बात करें तो आरबीआई द्वारा कुल 57 टन से अधिक सोना खरीदा गया, जो पिछले सात वर्षों में सबसे अधिक वार्षिक खरीद है। खास बात यह है कि यह खरीद ऐसे समय में की गई जब वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतों में करीब 30% की तीव्र वृद्धि देखने को मिली है।
RBI ने कहां रखा है यह सोना?RBI की आधिकारिक अर्धवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तक कुल 879.59 टन सोने में से 511.99 टन सोना भारत में रखा गया है। शेष 348.62 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) में सुरक्षित है, जबकि 18.98 टन सोना गोल्ड डिपॉजिट के रूप में दर्ज है।
1991 के बाद सबसे बड़ा घरेलू ट्रांसफरवित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में, RBI ने अपने गोल्ड रिजर्व का एक बड़ा हिस्सा भारत में स्थानांतरित किया। 31 मार्च 2024 तक लगभग 408 टन सोना भारत में था, जो सितंबर 2024 तक बढ़कर 510.46 टन हो गया। इसे 1991 के बाद का सबसे बड़ा घरेलू गोल्ड ट्रांसफर माना जा रहा है, जब भारत को विदेशी मुद्रा संकट के कारण अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, लेकिन गोल्ड की हिस्सेदारी में बढ़ोतरीमार्च 2025 के अंत में भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 668.33 अरब डॉलर रह गया, जो कि सितंबर 2024 में 705.78 अरब डॉलर था। हालांकि, इसके बावजूद गोल्ड का हिस्सा 9.32% से बढ़कर 11.70% हो गया है। इस फॉरेक्स रिजर्व से भारत 10.5 महीनों तक का आयात कवर कर सकता है, जबकि सितंबर 2024 में यह अवधि 11.8 महीने थी।
क्यों किया गया इतना बड़ा गोल्ड इन्वेस्टमेंट?RBI का यह कदम वैश्विक भूराजनीतिक तनावों और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। सोने को सुरक्षित और स्थिर निवेश के रूप में देखा जाता है, और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में RBI अपने भंडार को अधिक विविध और सुरक्षित बनाना चाहता है।