11 लाख के करीब पहुंचे देश में Coronavirus के मरीज, लड़ते-लड़ते थक चुके हैं कोरोना वॉरियर्स

देश में कोरोना संक्रमित (Coronavirus) मरीजों की संख्या ने आज सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। देश में पहली बार कोरोना के नए मरीजों का आंकड़ा 38 हजार के पार पहुंच गया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 38 हजार 902 नए मामले सामने आए हैं और 543 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 10 लाख 77 हजार 618 हो गई है। जिनमें से 3 लाख 73 हजार 379 सक्रिय मामले हैं, 6 लाख 77 हजार 423 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 26 हजार 816 लोगों की मौत हो चुकी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, देशभर में 18 जुलाई तक कोरोना वायरस के लिए 1 करोड़ 37 लाख 91 हजार 869 नमूनों का परीक्षण किया गया। जिनमें से 3 लाख 58 हजार 127 नमूनों का परीक्षण पिछले 24 घंटे में किया गया।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के चेयरपर्सन डॉ वी के मोंगा ने कहा है कि देश में अब कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है। हालात बुरे हो गए हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा कि रोज 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सबसे बुरी बात यह है कि अब संक्रमण ग्रामीण इलाकों में फैल रहा है। डॉ मोंगा का यह बयान बेहद अहम है, क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार कह रहा है कि अब तक भारत में कोरोना वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू नहीं हुआ है।

लड़ते-लड़ते थक चुके हैं कोरोना वॉरियर्स

देश में कोरोना वॉरियर्स कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई को लड़ते-लड़ते थक चुके है। डॉक्टर लगातार घंटों-घंटों तक 40 डिग्री तक पहुंच जाने वाली इस गर्मी में वायरस के खिलाफ लड़ाई में जुटे हुए हैं।

डॉक्टर शौकत नज़ीर वानी बिना एयर कंडीशनिंग वाले इंटेंसिव केयर यूनिट में पूरी तरह से बंद प्रोटेक्टिव गियर (PPE Kits) पहनकर कोरोना वायरस मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं। भीषण गर्मी अलग, ऊपर से वायरस से संक्रमित मरीजों के बीच वो अपनी जान खतरे में डालकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लगे हुए हैं। जबसे देश में महामारी फैली है, तबसे देश में लगभग 100 से ज्यादा डॉक्टरों की संक्रमण से मौत हो चुकी

किन हालातों में काम कर रहे हैं डॉक्टर

ग्रेटर नोएडा के प्राइवेट शारदा हॉस्पिटल में रेजिडेंट डॉक्टर के तौर पर काम करे रहे 29 साल के डॉक्टर वानी बताते हैं, '40 डिग्री वाली गर्मी में यह पीपीई किट पहना बहुत मुश्किल है। मैं कह सकता हूं क्योंकि आप पसीने में पूरी तरह भीगे हुए होते हैं लेकिन फिर भी हम अपनी पूरी कोशिश इन मरीजों को बचाने में लगा रहे हैं।'

डॉक्टर वानी कहते हैं कि इससे बहुत ही गर्मी होती है और दम घुटता है लेकिन उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए इसे पहनना पड़ता है।

बता दें कि शुक्रवार को भारत में कोरोना वायरस के कुल मामले 11 लाख के करीब पहुंच चुके हैं। भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा मामलों वाली सूची में तीसरे नंबर पर है। लेकिन फिर भी अभी तक देश में केस कम होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। यहां तक कि अब तेजी से गांवों में नए केस सामने आ रहे हैं। अब तक इस वायरस ने देश में 26,000 लोगों की जान ले ली है।

भारत हर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर खर्च किए जाने वाले हेल्थ केयर बजट के लिहाज़ से स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वाले दुनिया के कुछ देशों में शामिल है। यहां मेडिकल वर्कर्स की सैलरी भी अच्छी नहीं है, वहीं खस्ताहाल सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ को और भी खतरा है।

भारत में डॉक्टरों के एक समूह Indian Medical Association ने इस हफ्ते डॉक्टरों के लिए एक रेज अलर्ट जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि 'डॉक्टरों को अपनी सुरक्षा और हालात का खुद खयाल रखना होगा। उन्हें अपनी सुरक्षा के साथ-साथ अपने परिवार, अपने सहयोगियों की सुरक्षा का भी खयाल रखना होगा।'

शारदा हॉस्पिटल सरकार के निर्देशों के मुताबिक, कोविड मरीजों को मुफ्त इलाज़ दे रहा है, जिसका मतलब है कि यहां बहुत ही बेसिक सुविधाएं मिल रही हैं, वहीं बहुत से मरीज़ गरीब वर्ग से हैं। यहां हर मरीज हॉस्पिटल गाउन में भी नहीं है। एयर कंडीशनिंग की कोई सुविधा नहीं हैं, जिसके चलते पीपीई किट से लदे हुए डॉक्टर्स और नर्स तुरंत पसीने में भींग जाते हैं। और टॉयलेट जाने का मतलब है कि पूरा किट निकालो और फिर दूसरा सेट पहनो। ऐसे में स्टाफ पर्याप्त पानी पीने से भी बचता है। इससे उनमें कभी-कभी उल्टी या चक्कर आने जैसी समस्याएं आ रही हैं, लेकिन इससे उन्हें ऑर्गन डैमेज जैसी गंभीर परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है।

हॉस्टिपटल का आईसीयू देखने वाले डॉक्टर अभिषेक देशवाल ने कहा कि इतनी गर्मी में पीपीई सूट पहनना स्टाफ के लिए दोहरा सिरदर्द है लेकिन उनके पास और कोई विकल्प नहीं है।

रिटायर्ड स्टाफ तक को पड़ा बुलाना

कुछ स्टाफ ने नौकरी ही छोड़ दी है तो कुछ लंबी छुट्टी पर चले गए हैं, जिसके चलते सरकार को मेडिकल स्टूडेंट्स की तैनाती के साथ-साथ और रिटायर्ड स्टाफ तक को वापस लाना पड़ा है। इन मेडिकल स्टाफ के पारिवारिक रिश्तों पर भी असर पड़ा है और कई ने यह स्वीकारा है कि उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है।

डॉक्टर वानी ने ही बताया कि वो मार्च में महामारी फैलने के बाद से ही कश्मीर में रहने वाले अपने परिवार से नहीं मिल पाए हैं। वानी रेजिडेंट डॉक्टर हैं, ऐसे में उन्हें 24/7 'कोविड कॉल' पर रहना पड़ता है। आईसीयू में होने वाली घटनाएं उन्हें बुरी तरह प्रभावित करती हैं। उन्होंने बताया, 'कोविड मरीज़ अकसर बेसुध से हो जाते हैं। वो खाने से मना कर देते हैं। अपना ट्यूब नोंचकर फेंक देते हैं और हमसे हाथापाई कर लेते हैं।' उनके एक मरीज ने एक नर्स को थप्पड़ मार दिया था और उन्हें भी मारने की कोशिश की थी।

वानी ने कहा, 'लेकिन मैं उनके साथ सब्र से पेश आता हूं। मैंने अकसर उनके हाथ अपने हाथ में ले उनको भरोसा दिलाया है क्योंकि वो यहां कई दिनों तक अपने परिवार के बिना रहते हैं। मैं ये सारी बातें अपने पैरेंट्स से बताता हूं। ज़ाहिर है वो मेरे लिए परेशान हैं लेकिन वो मेरे काम की सराहना करते हैं। इससे मुझे और मेहनत से काम करने का हौंसला मिलता है।'