चीन के सरकारी मीडिया ने दिखाए तेवर, लिखा - हम लंबी जंग के लिए पूरी तरह तैयार

भारत और चीन के बीच शुरू हुआ सीमा विवाद सोमवार रात गंभीर रूप ले लिया। गलवान घाटी (Galvan Valley) में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों (Indian Soldiers) पर बेहद बर्बर हमले किए। चीनी सेना के इस बर्बर हमले में अब तक 23 भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई है। इनमें 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि कई घायल सैनिकों की मौत शून्य से काफी कम तापमान में लगातार बने रहने के कारण हुई। इस झड़प में चीन को भी काफी नुकसान हुआ है। खबर है कि इस संघर्ष में 43 चीनी सैनिक भी हताहत हुए है। भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा है कि फिलहाल जहां झड़प हुई वहां से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। हालांकि चीन ने इस टकराव का ठीकरा भारत के सिर पर फोड़ा है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चीन और भारत की सीमा पर लगातार तनाव की वजह भारतीय सेनाओं का घमंड और दुस्साहस है। सैन्य टकराव दोनों देशों के हितों में नहीं है, हम लंबी जंग के लिए पूरी तरह तैयार और एडवांटेज भी हमारे पास ही है।

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ग्लोबल टाइम्स ने अपने एडिटोरियल में लिखा है कि बॉर्डर के करीब भारतीय सेना इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रही है। उसने चीन के हिस्से में भी कुछ निर्माण किए हैं। इसके चलते ही दोनों पक्षों के बीच टकराव हो रहा है, क्योंकि चीन की सेना भारतीय सेना के निर्माण को रोकने की कोशिश कर रही है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा - पिछले कुछ साल से भारत ने दो गलतफहमियों के चलते सीमाई मुद्दों पर सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है। इनमें पहला है कि अमेरिका के बढ़ते दबाव के चलते चीन भारत के साथ खटास भरे रिश्ते नहीं चाहता है और ऐसे में वह भारतीय उकसावे का जवाब देने की इच्छा भी नहीं रखता है।

ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय के मुताबिक भारत और चीन की सीमा पर 1975 के बाद पहली बार इस तरह की हिंसक झड़प हुई है, जिसमें किसी देश के सैनिक की मौत हुई है। इस लेख में आरोप लगाया गया है कि भारत लगातार विवादित क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन का काम कर रहा है जिससे दोनों देशों के बीच हुए समझौते पर संकट के बादल छाए हुए हैं। इस संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि अमेरिका के बढ़ते दबाव के चलते भारत का रवैया चीन के प्रति बदल रहा है।

इस लेख में कहा गया है कि भारत में कुछ लोगों को इस बात का भी भ्रम है कि भारतीय सेना की ताकत चीनी सेना के मुकाबले ज्यादा है। इस तरह की बातें की जा रही हैं कि भारतीय सेना चाहे तो चीनी सेना को हरा सकती है। ये सभी सच नहीं है, ये तथ्य नहीं हैं और ऐसे भ्रामक तथ्यों के जरिए बनी धारणा भी नुकसानदायक है।

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दोनों ओर से सैनिकों की मौत हुई

गालवन वैली में भारत और चीन की सेना के बीच इस बार जो झड़प हुई है। उसमें दोनों ओर से सैनिकों की मौत हुई। इससे यह साफ हो रहा है कि फिलहाल दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर पैदा हुए हालात नियंत्रण में नहीं हैं। इस घटना के बाद से अभी तक दोनों सेनाओं ने संयम बरता है। यह दिखाता है कि दोनों पक्ष बातचीत के जरिए तनाव को कम करना चाहते हैं।

अखबार ने कहा है कि चीन ने अपनी सेना को हुए नुकसान को सार्वजनिक इसलिए नहीं किया है क्योंकि वह अपने देश के लोगों में भारत के प्रति नफरत पैदा करना नहीं चाहते। चीन इस बात पर प्रतिबद्ध है कि वह अपने इलाके की रक्षा और देश की संप्रभुता के लिए हर रास्ता अपनाने में सक्षम है।

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ग्लोबल टाइम्स ने लिखा - चीन कभी भी भारत से युद्ध नहीं चाहता है लेकिन किसी को भी इसे उसकी कमजोरी की तरह नहीं समझना चाहिए। चीन के मुताबिक भारत और चीन में कुछ मतभेद हैं जिन्हें द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है। चीन ने धमकी भी दी है कि वो किसी भी हालत में भारत से शांति की शर्त पर अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। इस संपादकीय में आगे कहा गया है कि चीन और भारत दोनों काफी बड़े देश हैं जहां अरबों लोग रहते हैं। भारत को ये सपष्ट करना चाहिए कि चीन और भारत के तनावपूर्ण रिश्तों में अमेरिका के कौन से हित पूरे हो रहे हैं। क्या अब भारत ने वाशिंगटन के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है?

गालवन घाटी में तनाव को कम होते देखना चाहते

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि हम गालवन घाटी में तनाव को कम होते देखना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि भारत लद्दाख सीमा पर तैनात सैनिकों और इंजीनियरों का बेहतर प्रबंधन करेगा। साथ ही, दोनों सेनाओं के अफसरों के बीच हुई हाई लेवल मीटिंग में जो आम सहमति बनी थी उस पर अमल करेगा। अगर हालात शांत हो जाते हैं तो यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद साबित होगा। हालांकि, इसके लिए दोनों देशों की सेनाओं को कोशिशें करनी होंगी।

चीन की जनता को सेना पर भरोसा करने के लिए कहा

ग्लोबल टाइम्से ने कहा- भारत के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर चीन की जनता को सरकार और पीपल्स लिबरेशन आर्मी पर भरोसा करना चाहिए। सीमा विवाद से निपटने के दौराव वे चीन की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय हितों को बनाए रखेंगे। चीन के पास अपनी जमीन के हर एक इंच की सुरक्षा करने की ताकत और समझदारी है और वह अपने खिलाफ किसी रणनीतिक चाल को कामयाब नहीं होने देगा।

बता दे, लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन से तनातनी जारी है। सेना के सूत्रों का कहना है कि कल से अब तक हो रहे समझौते की कोशिश का कोई खास असर नहीं हुआ है। सीमा पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। बातचीत से हालात में कोई बदलाव नहीं आया है। ना सिर्फ लद्दाख बल्कि एलएसी के दूसरे हिस्सों में भी सेना अलर्ट मोड में आ गई है। इस बीच भारतीय सेना की ओर से शहीद हुए 20 जवानों का नाम आज जारी किया जाएगा। चीनी सेना के साथ झड़प में हमारे जवान शहीद हुए हैं। झड़प की घटना 15-16 जून की की रात हुई।