पंजाब ( Punjab ) में अमृतसर ( Amritsar ) के बाहरी इलाके में रविवार को करीब 200 लोगों से भरे एक प्रार्थना सभागार में ग्रेनेड हमले में तीन लोगों की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए। अमृतसर में निरंकारी भवन में हुए आतंकी हमले को लेकर पंजाब के आम आदमी पार्टी के विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे एचएस फुल्का ने विवादित बयान देते हुए कहा कि हो सकता है कि सेनाध्यक्ष विपिन रावत ने अपनी ही बात को सही साबित करने के लिए ये ग्रेनेड हमला कराया हो। फुल्का यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, अमृतसर हादसे के पीछे सरकार का हाथ हो सकता है। इस हमले में 3 लोगों की मौत हो गई। पत्रकारों से बात करते हुए फुल्का ने कहा कि मामले की पूरी जांच की जानी चाहिए। जांच से पहले किसी पर दोष मढ़ना ठीक नहीं है। उनके इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने कहा, वह ये भी बताएं किस सरकार ने कराया हमला। राशिद अल्वी ने कहा, फुल्का का ये बयान गैर जिम्मेदाराना है। फुल्का ने आगे कहा कि देश में अभी चुनाव का समय है और चुनावों के समय ऐसी घटनाएं कराई जाती है। पहले भी सरकारें ऐसा करती रही हैं और अपनी एजेंसियों के जरिए काम करवाकर ऐसा कहा जाता था कि माहौल खराब है। जो लोग कह रहे हैं कि माहौल खराब है, माहौल खराब है उन लोगों की पहचान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के प्रमुख बिपिन रावत ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि पंजाब में माहौल खराब हो रहा है। हो सकता है कि सेनाध्यक्ष ने ही यह धमाका करवाया ताकि उनका बयान सही साबित हो जाए। सच्चाई सामने आने से पहले किसी की तरफ अंगुली उठाना ठीक नहीं है लेकिन सेनाध्यक्ष कुछ दिन पहले पंजाब गए थे और वहां उन्होंने कहा था कि आतंकवाद राज्य में फैल रहा है। इसलिए अपने दावे को सही साबित करने के लिए सेना भी यह काम(धमाका) कर सकती है।
सरकार और पुलिस मान रही है आतंकी वारदात
पंजाब पुलिस के महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने ‘इसमें (इस घटना में) आतंक का एक पहलू दिख रहा है क्योंकि यह एक समूह (लोगों) के खिलाफ है, न कि किसी एक व्यक्ति के। लोगों के समूह पर ग्रेनेड फेंकने का कोई कारण नहीं है, इसलिए हम इसे एक आतंकी हरकत के तौर लेंगे। साबित होने तक हम प्रथम दृष्टया इसे इसी रूप में लेंगे।’
ये कहा था सेनाध्यक्ष ने...
सेनाध्यक्ष विपिन रावत ने कुछ दिनों पहले कहा था कि पंजाब पर निगाह रखने की जरूरत है। क्योंकि वहां पर खालिस्तान समर्थक अपनी कोशिशों में लगे हुए हैं। अगर उन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो पंजाब में स्थिति हाथ से निकल जाएगी।