
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर मोदी सरकार पर हमला बोला है। लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने कहा, “देश के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि आतंकवादी हमारे घर में कैसे घुस आए?” आपको बता दें कि मंगलवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों ने 26 निहत्थे लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
अखिलेश यादव ने कहा कि पीड़ित परिवारों को 10-10 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाना चाहिए, साथ ही उन्हें सरकारी नौकरी भी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “इंटेलिजेंस पूरी तरह से फेल हो गया है, सुरक्षा बल समय पर नहीं पहुंचे। यह बात आज का बच्चा-बच्चा जानता है। पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ और इसकी चर्चा पुलवामा तक हो रही है। यह सरकारी नाकामी के कारण हुआ।”
अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान की बजाय ‘प्रचार’ को प्राथमिकता दे रहे हैं।
यूपी में महिलाएं असुरक्षित: अखिलेश यादव का आरोपअखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि यूपी में महिलाएं असुरक्षित हैं। उन्होंने कहा, “हमारे मुद्दे आज भी सुरक्षा और बेरोजगारी हैं। जब सपा के लोग सोशल मीडिया पर लिखते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। पुलिस अधिकारियों की कमजोरी का फायदा बीजेपी उठा रही है, और वे मनमानी करवा रहे हैं। बीजेपी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों से मनमानी करवा रही है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा दिया है, जिससे युवतियों के लिए असुरक्षित माहौल बन गया है और फीस लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही शिक्षा का निजीकरण भी हो रहा है।
सरकार रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में विफल: अखिलेश यादवअखिलेश यादव ने बेरोजगारी की समस्या को उठाते हुए कहा कि सरकार पर्याप्त रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में विफल रही है, जिससे वंचित वर्ग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहा है। उन्होंने कहा, “नौकरियों की कमी के कारण लोग अपनी योग्यता के अनुसार काम नहीं पा रहे हैं, और सरकार सम्मानजनक रोजगार देने में असमर्थ है। जिनके पास डिग्री है, जिन्हें अच्छे प्रोफेशनल कोर्स की डिग्री है, उन्हें डिलीवरी बॉय बना दिया जाता है।”
अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार संवैधानिक अधिकारों को कमजोर कर रही है और आरक्षण नीतियों से छेड़छाड़ कर रही है। उन्होंने कहा, “नौकरी न देने का मतलब आरक्षण न देना है, और शिक्षा में बहुत अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप किया जा रहा है।”