जस्टिस बेला त्रिवेदी बिना विदाई के सुप्रीम कोर्ट से रिटायर, जजों ने जताई नाराजगी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की जज बेला एम. त्रिवेदी ने शुक्रवार को चुपचाप न्यायपालिका से विदाई ले ली, लेकिन यह विदाई औपचारिक नहीं थी। आमतौर पर सर्वोच्च न्यायालय में किसी भी न्यायाधीश के सेवानिवृत्ति के दिन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा विदाई समारोह आयोजित किया जाता है। मगर जस्टिस त्रिवेदी के आखिरी कार्यदिवस पर ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं हुआ, जिससे कई वरिष्ठ न्यायाधीशों ने असहमति जाहिर की।

सेरेमोनियल बेंच की कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह ने बार एसोसिएशन की चुप्पी पर नाराजगी जताते हुए इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया। बेंच के समक्ष सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल और उपाध्यक्ष रचना श्रीवास्तव उपस्थित थे, जिन्हें लेकर जस्टिस गवई ने कहा, मैं उनकी मौजूदगी की सराहना करता हूं, लेकिन एसोसिएशन का रुख सही नहीं था। मैं स्पष्ट बोलने वाला व्यक्ति हूं, इसलिए बिना लाग-लपेट कह रहा हूं—यह निर्णय अनुचित था।

जस्टिस गवई ने अपने उद्बोधन में कहा कि जस्टिस त्रिवेदी ने अपने कार्यकाल में निडरता, ईमानदारी और स्पष्टता के साथ न्याय किया। वे सुप्रीम कोर्ट की गरिमा, एकता और निष्पक्षता की प्रतीक रही हैं। उन्होंने आगे कहा, “हर न्यायाधीश की अपनी शैली होती है, लेकिन जस्टिस त्रिवेदी का काम हमेशा मिसाल रहा है।”

वहीं, जस्टिस एजी मसीह ने भी इस बात पर दुख व्यक्त किया कि बार एसोसिएशन ने परंपरा का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा, “परंपराएं केवल औपचारिकता नहीं होतीं, वे संस्थानों की आत्मा होती हैं। मुझे खेद है कि यह कहना पड़ रहा है, लेकिन यह स्थिति अनुचित है। मैं उम्मीद करता हूं कि भविष्य में ऐसी अच्छी परंपराएं कायम रहें।”

जस्टिस मसीह ने जस्टिस त्रिवेदी को एक स्नेहशील और मार्गदर्शक न्यायाधीश बताते हुए उनके भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तित्व और कार्यशैली आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।