नई दिल्ली। अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की नियामक के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनकी परामर्शदात्री फर्म के वित्तीय लेन-देन के बारे में नए आरोपों पर चुप्पी पर सवाल उठाया है।
हिंडेनबर्ग का यह बयान कांग्रेस पार्टी द्वारा सेबी द्वारा विनियमित सूचीबद्ध कंपनियों के साथ बुच के संबंधों के बारे में नए आरोप लगाए जाने के बाद आया है। शॉर्ट-सेलर ने यह भी कहा कि माधबी पुरी बुच ने कई हफ़्तों तक आरोपों पर चुप्पी साधे रखी।
एक्स पर एक पोस्ट में हिंडेनबर्ग ने कहा, नए आरोप सामने आए हैं कि निजी परामर्शदात्री संस्था, जिसका 99% स्वामित्व सेबी अध्यक्ष माधबी बुच के पास है, ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सेबी द्वारा विनियमित कई सूचीबद्ध कंपनियों से भुगतान स्वीकार किया।
हिंडेनबर्ग ने कहा, बुच ने सभी उभरते मुद्दों पर हफ्तों तक पूरी तरह चुप्पी बनाए रखी।
एक दिन पहले, कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि बुच और उनकी कंसल्टिंग फर्म अगोरा प्राइवेट लिमिटेड को 2016 से 2024 के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक, डॉ. रेड्डीज और पिडिलाइट सहित छह कंपनियों से लगभग 2.95 करोड़ रुपये मिले।
कांग्रेस के अनुसार, अजीब बात यह है कि कुल 2.95 करोड़ रुपये में से 2.59 करोड़ रुपये अकेले महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह से आए, जो अगोरा द्वारा अर्जित राजस्व का 88% है।
विवाद को और बढ़ाते हुए कांग्रेस ने यह भी कहा कि बुच के पति धवल बुच ने व्यक्तिगत हैसियत से महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4.78 करोड़ रुपए प्राप्त किए, जिससे संभावित हितों के टकराव के बारे में और सवाल खड़े हो गए।
महिंद्रा समूह और डॉ रेड्डीज ने स्टॉक एक्सचेंजों को अलग-अलग बयान जारी कर कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि, माधबी पुरी बुच ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई नया बयान जारी नहीं किया
है।