हाथरस केस / पीड़ित परिवार की अभूतपूर्व सिक्योरिटी, घर पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे-मेटल डिटेक्टर, टॉयलेट के लिए भी साथ जा रहे पुलिसकर्मी

उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras Case) में कथित गैंगरेप पीड़िता का घर और गांव पूरी तरह से पुलिस छावनी बन चुका है। पीड़ित के घर के बाहर अब सीसीटीवी कैमरा लग गया है। अंदर जाने वालों को मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ रहा है। दरवाजे पर लोकल इंटेलीजेंस यूनिट का अफसर तैनात है, जो घर में आने-जाने वाले हर व्यक्ति का नाम नोट कर रहा है। गांव और पीड़िता का परिवार किसी साजिश का शिकार ना हो, इसके लिए घर के हर मेंबर के लिए दो-दो सिपाहियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही परिवार की महिला सदस्यों के लिए महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

बाहर कुर्सी डाले एक तहसीलदार और एसडीएम बैठी हैं, जो परिवार की हर जरूरत का ध्यान रख रही हैं। घर के भीतर भी सादी वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात हैं। वहीं अपने आप को सूचना विभाग का अधिकारी बताने वाला एक बुजुर्ग व्यक्ति चुपके-चुपके सबकी तस्वीरें ले रहा है। पुलिसकर्मियों के लिए अब तंबू लग गया है और अस्थाई शौचालय भी बनाए गए हैं।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिसकर्मी परिवार के सदस्यों के साथ टॉयलेट के वक्त भी जाते हैं। ऐसी सुरक्षा पीड़ित परिवार के लिए जी का जंजाल बन गई है। पीड़ित परिवार ने इससे राहत पाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की है। पीड़ित परिवार की तरफ से सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार ने अर्जी दाखिल की है। अर्जी में कहा गया है कि पुलिस -प्रशासन की बंदिशों के चलते पीड़ित परिवार घर में कैद सा होकर रह गया है। लोगों से मिलने-जुलने की पूरी छूट दिए जाने और अपनी बात खुलकर रखे जाने की मांग की है।

कथित गैंगरेप के 24 दिन बाद बुलगढ़ी में अब बहुत कुछ बदल गया है। पहले परिवार बोल रहा था और गांव वाले खामोश थे। अब पीड़ित का परिवार बोल-बोलकर थक चुका है और गुमसुम सा है, लेकिन अब गांव वाले बोल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पीड़ित के भाई के फोन नंबर और मुख्य आरोपी संदीप के फोन नंबर के बीच 104 बार कॉल हुईं और इस दौरान करीब 5 घंटे बात हुई। अब गांव में हर कोई इन्हीं फोन कॉल्स का जिक्र कर रहा है। अब खुली जुबान से लोग कह रहे हैं कि कुछ न कुछ तो चक्कर था। जिसके जो मन में आ रहा है कह रहा है। कई तरह की थ्योरी अब गांव में चल रही हैं। लोग पीड़ित के परिवार पर आरोप लगाने लगते हैं, लेकिन कही-सुनी बातों के सबूत मांगने पर सब चुप हो जाते हैं और कहते हैं- 'अब ये हमै न पतौ।'

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि हाथरस जिले के एक गांव में गत 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित युवती से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था। चोटों के चलते दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई। इसके बाद रातोंरात उसके शव का दाह-संस्कार कर दिया गया। परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन ने उनकी सहमति के बगैर गत बुधवार देर रात पीड़िता के शव का जबरन दाह-संस्कार कर दिया। हालांकि, प्रशासन ने इससे इनकार किया है।