हरिद्वार: कांवड़ यात्रा मार्ग पर मस्जिद और मजार को ढकने से खड़ा हुआ विवाद

हरिद्वार। उत्तराखंड के हरिद्वार में प्रशासन ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित एक मस्जिद और मजार को पर्दे से ढकने का आदेश दिया। हालांकि, इस कदम पर विवाद बढ़ने के बाद पर्दे तुरंत हटा दिए गए।

इससे पहले प्रशासन ने आर्यनगर के पास इस्लामनगर मस्जिद और क्षेत्र में एलिवेटेड पुल पर स्थित एक दरगाह और मस्जिद को ढकने का आदेश दिया था।

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह उपाय किसी भी संभावित अशांति को रोकने और कांवड़ यात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है।

मस्जिद और मजार के बाहर पर्दे लगाने का फैसला क्षेत्र में हाल ही में हुए विवादों के तुरंत बाद लिया गया, जैसे कि कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों की नेमप्लेट लगाने को लेकर विवाद। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मस्जिदों और मजारों को ढकने की निंदा की।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार रावत ने कहा, जब रास्ते में विभिन्न मंदिर, मस्जिद, चर्च होते हैं, तो यह भारत को दर्शाता है। क्या कांवड़ यात्री इतने संकीर्ण सोच वाले हैं कि अगर किसी अन्य धर्म के धार्मिक स्थल की छाया उन पर पड़ती है, तो वे उससे बचना शुरू कर देंगे?

मस्जिद और मजार से जुड़े लोगों ने इस फैसले पर अपनी असहमति जताते हुए कहा है कि यह अभूतपूर्व है। मजार से जुड़े शकील अहमद ने कहा, प्रशासन ने हमें बताए बिना ही पर्दे लगा दिए। पिछले 40 सालों में हमें कांवड़ियों से कभी कोई परेशानी नहीं हुई और हमें समझ में नहीं आ रहा कि अब ऐसा क्यों किया गया। यहां कभी कोई समस्या नहीं हुई, श्रद्धालु आते हैं, आराम करते हैं और शांति से चले जाते हैं।

इस्लामनगर की मस्जिद के प्रमुख अनवर अली ने भी इसी तरह की बात कही, हमें यह नहीं बताया गया कि पर्दे क्यों लगाए गए हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और इस बारे में पहले कोई चर्चा भी नहीं हुई। पुलिस पिछले गुरुवार की रात आई और हमें हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया। उन्होंने बिना कोई और स्पष्टीकरण दिए रातों-रात पर्दे लगा दिए।

स्थानीय दुकानदार यूनुस, जो 60 साल से इस इलाके में रह रहे हैं, ने भी असमंजस व्यक्त करते हुए कहा, प्रशासन ने कहा कि यह सुरक्षा कारणों से किया गया है, लेकिन हमने पहले कभी इस तरह के उपाय नहीं देखे। पर्दे के बावजूद, कांवड़िये बिना किसी परेशानी के यहाँ खरीदारी करते रहते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, और इससे हमारे व्यापार पर असर पड़ा है।

मस्जिद को ढकने का फैसला हंगामे के बाद वापस ले लिया गया।