अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी संजीव भट्ट की अपील को खारिज कर दिया, जो उन्होंने 1990 के हिरासत में मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर की थी। जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट द्वारा मंगलवार को याचिका खारिज की गई। ट्रायल कोर्ट ने संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ संजीव भट्ट ने हाई कोर्ट में अपील की और सजा रद्द करने की मांग की। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करे बिना उसे बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री और न्यायमूर्ति संदीप भट्ट की खंडपीठ ने संजीव भट्ट और सह आरोपी प्रवीण सिंह जाला की भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा।
खंडपीठ ने आदेश पढ़ते हुए कहा, 'हमने आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए संबंधित आरोपियों को दोषी ठहराते समय निचली अदालत द्वारा दर्ज किए गए तर्कों का भी अध्ययन किया है। ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को सही तरीके से दोषी ठहराया है। हम उक्त फैसले को बरकरार रखते हैं और अपील खारिज की जाती है।
अदालत ने राज्य सरकार द्वारा दायर एक अन्य अपील को भी खारिज कर दिया। जिसमें पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी। इन आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था। भट्ट और जाला जेल में बंद हैं।
1990 में पूर्व भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जामजोधपुर में एक राजनीतिक
रैली की थी। जिसके लिए भारत बंद का ऐलान किया था। इस समय वहां संजीव भट्ट
एसपी थे। पुलिस टीम ने TADA के तहत 100 से अधिक दंगाइयों को गिरफ्तार किया
क्योंकि उन्होंने बंद की घोषणा के बावजूद सांप्रदायिक दंगे किए।
हिरासत
में लिए गए लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की रिहाई के बाद अस्पताल
में मौत हो गई। दंगाई की मौत होने से यह मामला बन गया। हिरासत में मरने
वाले आरोपी के भाई ने संजीव भट्ट और अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ आरोप
लगाया था कि हिरासत में लिए गए लोगों को लापरवाही से लाठियों से पीटा गया
और उन्हें प्रताड़ित किया। आरोप है कि उन्हें पानी तक पीने की इजाजत नहीं
दी गई थी। उन्होंने हिरासत में यातना की शिकायत दर्ज कराई।
इस मामले
में जामनगर सेशन कोर्ट ने संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जामनगर
की अदालत ने 20 जून, 2019 को संजीव भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण
सिंह जाला को हत्या का दोषी ठहराया था। उनके साथ मामले में कांस्टेबल
प्रवीण सिंह जाडेजा, अनोपसिंह जेठवा, केशुभा दोलुभा जाडेजा आदि को दो साल
की सजा सुनाई गई।