वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली की जांच शाखा ने दो महीने में 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी पकड़ी है। आंकड़ों से पता चला है कि जीएसटी के तहत कुल मिलाकर 1.11 करोड़ पंजीबद्ध कारोबारी इकाईयां हैं। लेकिन 80 प्रतिशत कर केवल एक प्रतिशत इकाईयों के माध्यम से प्राप्त हो रहा है। औद्योगिक संगठन एसोचैम द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के जोसफ ने कहा कि छोटी कारोबारी इकाईयां तो जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में गलती कर ही रही हैं, बहुराष्ट्रीय व बड़ी कंपनियां भी चूक कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप कर राजस्व भुगतान के तौर-तरीकों पर नजर डालें तो चिंताजनक तस्वीर सामने आती है।
उन्होंने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उनमें से अधिकतर का वार्षिक कारोबार 5 लाख रुपये का है। इससे पता चलता है कि जीएसटी को सही ढंग से लागू करने की अभी और जरूरत है। कम्पोजिशन स्कीम के तहत कारोबारियों और उत्पादकों को 1 फीसदी की कम दर पर टैक्स चुकाने की अनुमति है, जबकि रेस्तरां मालिकों को 5 फीसदी की दर से जीएसटी भुगतान करना पड़ता है। यह योजना उत्पादकों, रेस्तरां और व्यापारियों के लिए खुली है, जिनका कारोबार 1.5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।
एक लाख से भी कम लोग कर रहे हैं 80 प्रतिशत कर का भुगतानएक करोड़ से अधिक कारोबारी इकाईयों ने पंजीकरण करवाया है, लेकिन कर स्रोत देखा जाए तो एक लाख से भी कम लोग ही 80 प्रतिशत कर का भुगतान कर रहे हैं। कोई नहीं जानता की प्रणाली में क्या हो रहा है और यह अध्ययन का महत्वपूर्ण विषय है।
फर्जी चालान से हो रहा रिफंड का दावाजोसफ ने कहा कि जांच से पता चला है कि योजनाबद्ध तरीके से माल के लिए फर्जी चालान तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन माल की आपूर्ति नहीं की जा रही है। इन चालानों के आधार पर कुछ कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा भी कर रही हैं। इसके अलावा, सामान का वास्तव में निर्यात किए बिना कुछ कंपनियां फर्जी चालानों के आधार पर जीएसटी रिफंड का दावा भी कर रही हैं।
चोरों पर होगी कड़ी नजरउन्होंने कहा कि एक-दो महीने के थोड़े से ही समय में हमने 2000 करोड़ रुपए की कर चोरी पकड़ी है, जो कि एक नमूना भर हो सकता है। सरकार के राजस्व को चुराया जा रहा है। इसे रोकने के लिए जीएसटी खुफिया साखा अपने प्रयास तेज करेगी।