नई दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार, 30 सितंबर को कहा कि ग्रेट निकोबार द्वीप अवसंरचना परियोजना का वर्तमान डिज़ाइन अनावश्यक रूप से अस्वीकार्य तरीके से पारिस्थितिकी को खतरे में डालता है।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक्स पर नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश के विचारों का हवाला दिया, जिन्होंने कहा है कि पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचाए बिना सुरक्षा को मजबूत करना वांछनीय और संभव दोनों है।
प्रकाश की टिप्पणियों पर एक रिपोर्ट साझा करते हुए, रमेश ने एक्स पर कहा, भारतीय नौसेना के एक बहुत ही प्रतिष्ठित पूर्व प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश, जिन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेवा की है, द्वारा व्यक्त किए गए बहुत ही विवादास्पद ग्रेटर निकोबार एकीकृत विकास परियोजना पर ये विचार गंभीर ध्यान देने योग्य हैं। उनका मूल बिंदु यह है: पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचाए बिना सुरक्षा को मजबूत करना वांछनीय और संभव दोनों है।
रमेश ने कहा, गैर-जैविक पीएम द्वारा आगे बढ़ाई जा रही परियोजना का वर्तमान डिजाइन अनावश्यक रूप से अस्वीकार्य तरीके से पारिस्थितिकी को खतरे में डालता है।
कांग्रेस महासचिव ने ग्रेट निकोबार एकीकृत विकास परियोजना पर एक पेशेवर निकोबारी मानवविज्ञानी एन्स्टिस जस्टिन के विचारों को भी साझा किया और दावा किया कि यह परियोजना पारिस्थितिक और मानवीय आपदा का नुस्खा है।
शनिवार को रमेश ने ग्रेट निकोबार द्वीप अवसंरचना परियोजना के संबंध में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी पर पुनर्विचार करने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति की संरचना ही पक्षपातपूर्ण है और उसने कोई सार्थक पुनर्मूल्यांकन नहीं किया है।
रमेश ने इस बात पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की थी कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा उसके समक्ष प्रस्तुत याचिकाओं पर विचार-विमर्श के बावजूद भी अभिरुचि की अभिव्यक्तियाँ आमंत्रित की जा रही हैं।
यादव को लिखे अपने पत्र में रमेश ने ग्रेट निकोबार द्वीप अवसंरचना परियोजना को दी गई पर्यावरणीय मंज़ूरियों पर पुनर्विचार करने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति (एचपीसी) की विश्वसनीयता, संरचना और निष्कर्षों पर भी
सवाल उठाए थे।
रमेश और यादव के बीच इस परियोजना पर पत्रों के माध्यम से कई बार बातचीत हुई है। रमेश ने 27 अगस्त को पर्यावरण मंत्रालय के इस दावे पर पलटवार किया था कि ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना के लिए मंजूरी सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद दी गई थी। उन्होंने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि इसके लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन अध्ययन नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित प्रारूप में इसकी मंजूरी सुनिश्चित करने के लिए किया गया था।