चिंता : इन दो देशों की वजह से अगले 9 महीनों में आने वाली है मंदी!

आने वाले 9 महीनों में दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आ जायेगी। मॉर्गन स्टेनली की मानें तो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव दुनिया को मंदी की ओर धकेलने वाला मुख्य कारक है। मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि अगर अमेरिका के जरिए व्यापार युद्ध फिर से भड़कता है और वह चीन से आयातित सभी सामानों पर शुल्क बढ़ाकर 25 फीसदी कर देता है, तो दुनिया में तीन तिमाहियों में ही मंदी आ जाएगी।

IANS की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और अन्य यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। ब्रेक्सिट के कारण राजनीतिक अनिश्चितता की वजह से वहां दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद सिकुड़ गया है, जिससे आसन्न मंदी की आशंका बढ़ गई है।

वैश्विक मंदी के बीच, वैश्विक केंद्रीय बैंक कार्रवाई में जुट गए हैं। भारत ने बेंचमार्क नीतिगत दरों में 35 आधार अंकों की कटौती की, न्यूजीलैंड ने 50 आधार अंकों और थाईलैंड ने भी आश्चर्यजनक रूप से 25 आधार अंकों की कटौती की है।

मॉर्गन स्टेनली एक वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी है जो कि अपनी सहायक और सहयोगी कंपनियों के द्वारा अपने उत्पाद और सेवाएं ग्राहकों को देती है। जिसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। मॉर्गन स्टैनले दुनिया भर के 36 देशों में भी चल रही है।

मंदी के अन्य विश्वसनीय संकेत भी सामने आ रहे हैं, जिसमें बांड यील्ड का उल्टा होना है। मंदी से पहले भी बांड यील्ड के ग्राफ का कर्व उलटा हुआ था और यह अब लगभग वैसा ही हो रहा है जैसा कि 2008 के वित्तीय संकटों से पहले देखने को मिला था।

हालांकि, भारत में मंदी का खतरा आसन्न नहीं है, लेकिन सरकार और नीति निर्माता इसकी अनदेखी नहीं कर सकते और उन्हें जरूरी कदम उठाने होंगे। भारत की अर्थव्यवस्था में पिछली तीन तिमाहियों में गिरावट ही रही है और विकास का पूर्वानुमान भी नहीं बढ़ रहा है। औद्योगिक उत्पादन और कोर इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों क्षेत्रों में गिरावट देखी गई है।