दिवाली से पहले उल्लुओं के साथ 2 तस्कर गिरफ्तार, 1 करोड़ से ज्यादा कीमत

दिवाली में तांत्रिक गतिविधियों में उल्लू का इस्तेमाल होता है। इसके लिए दिवाली से पहले उल्लुओं की तस्करी की घटना में तेजी आ जाती है। हाल ही में ताजा मामला राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद से सामने आया हैं। गाजियाबाद की इंदिरापुरम पुलिस ने चेकिंग के दौरान दुर्लभ प्रजाति के पांच उल्लुओं के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान गाजियाबाद निवासी सुमित और प्रदीप के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार दुर्लभ प्रजाति के इन उल्लुओं की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक करोड़ रुपये से ज्यादा है। पुलिस इस दोनों तस्करों से गहन पूछताछ कर रही है। इस तस्करी से जुड़े और लोगों की जानकारी हासिल की जा रही है। साथ ही तस्करी करके लाए गए इन उल्लुओं के खरीदारों के बारे में भी पुलिस पूछताछ कर रही है। पुलिस ने बताया कि इन्हें खरीदने का ऑर्डर देने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने बताया कि आरोपी बाइक पर एक बाल्टी में बंद करके इन उल्लुओं को ले जा रहे थे, तभी इनको वैशाली पुलिया के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। भारतीय वन्य जीव अधिनियम-1972 की अनुसूची-एक के तहत उल्लू संरक्षित जीव है। ये विलुप्त प्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है। इनके शिकार और तस्करी करने पर तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है। इनके पालने पर भी प्रतिबंध है। पूरी दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं।

गाजियाबाद पुलिस के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के दौरान उल्लुओं की तस्करी के मामले बीते कुछ वर्षों में सामने आए हैं। इसके चलते उल्लुओं की तस्करी रोकने के लिए इंदिरापुरम इलाके में सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था। इस दौरान इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के पॉश इलाके वैशाली में उल्लुओं को ले जा रहे दो तस्करों सुमित और प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी गाजियाबाद के सिहानी गेट के रहने वाले हैं।

बता दे, उल्लू को लक्ष्मी जी का वाहन कहा जाता है, इस लिहाज से उल्लू शुभ माना गया है। इस दिन उल्लू की पूजा की जाती है और पूजा के बाद इसी उल्लू की बलि दे दी जाती है। दिवाली पर बलि के लिए तैयार करने के लिए उसे मांस-मदिरा भी दी जाती है। पूजा के बाद बलि दी जाती है और बलि के बाद शरीर के अलग-अलग अंगों को अलग-अलग जगहों पर रखा जाता है जिससे समृद्धि हर तरफ से आए। जैसे- माना जाता है कि उसकी आंखों में सम्मोहित करने की ताकत होती है, लिहाजा उल्लू की आंखें ऐसी जगह रखते हैं जहां मिलना-मिलाना होता हो। पैर तिजोरी में रखा जाता है। चोंच का इस्तेमाल दुश्मनों को हराने के लिए होता है। वशीकरण, मारण जैसी कई तांत्रिक क्रियाओं के लिए उल्लुओं का इस्तेमाल होता है। सम्मोहन के लिए उल्लू के नाखून से काजल भी बनाया जाता है। इसे लेकर बहुत सी मान्यताएं हैं जो जगह के हिसाब से बदलती रहती हैं।