जयपुर : मोदकों की झांकी के साथ मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में शुरु हुआ गणपति जन्मोत्सव

गणेश जी को विघ्नहर्ता, गणनायक, लंबोदर, विनायक आदि नामो से जाना जाता है जो अपने भक्तो के हर कष्टों को दूर करने हेतु तत्पर रहते है। गणेश जी का विशालकाय शरीर उनके अलग अलग प्रतिको को बताता है की वह निराकार होते हुए भी सभी दुखो को दूर करने के लिए तत्पर है। गणेश जी को सभी गणों का स्वामी माना जाता है। 13 सितंबर को गजानन महाराज का जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। इससे पहले जयपुर में स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर में बुधवार को मोदकों की झांकी के साथ गणेशजी के जन्मोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत हो गई। महोत्सव के तहत 7 सितंबर को पुष्य नक्षत्र में गणपति का अभिषेक होगा। इसके बाद ध्वजारोहण और ध्वज पूजन किया जाएगा। बता दें कि इसके दूसरे दिन से मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम व भजन संध्या शुरू होगी, जो 11 सितंबर तक चलेंगी। जबकि 12 सितंबर को सिंजारा महोत्सव मनाया जाएगा। इसका मुख्य आयोजन 13 सितंबर को गणेश जन्मोत्सव के रूप में होगा। मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि गणेशजी का जन्मोत्सव 13 सितंबर को मनाया जाएगा।

महंत कैलाश शर्मा महोत्सव के आयोजनों के बारे में बताते हुए कहा कि बुधवार को सुबह 5 बजे मंगला आरती के साथ मोदकों की झांकी के दर्शन खुलेंगे।

झांकी में मुख्य मोदक 251 किलो के दो मोदक, 5 मोदक 51 किलो के, 21 मोदक 21 किलो के और 1100 मोदक 1.25 किलो के साथ अन्य छोटे मोदक होंगे। इस दिन गजानन महाराज को रत्न जडि़त मुकुट धारण करवाया जाएगा।

कैलाश शर्मा के मुताबिक 7 सितंबर को सुबह 8 बजे पुष्ण नक्षत्र में भगवान गणेशजी महाराज का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भक्तों को रक्षा सूत्र व हल्दी प्रसाद वितरित किया जाएगा। अभिषेके बाद भगवान के ध्वज पूजन होगा, नवीन झंडे धारण करवाए जाएंगे। वहीं 1008 मोदक अर्पित किए जाएंगे।

महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि 8 से 11 सितंबर तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद 12 सितंबर को सिंजारा महोत्सव मनाया जाएगा। गणेशजी महाराज को सिंजारे की मेहंदी धारण करवाई जाएगी और भक्तों को मेहंदी वितरित की जाएगी। मुख्य आयोजन गणेश चतुर्थी पर 13 सितंबर को होगा। इस दिन मंगला आरती सुबह 4 बजे होगी, जबकि शयन आरती रात 11.45 बजे होगी।

बता दें कि पुराणों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन ही गणपति का जन्म हुआ था। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। नियमों के अनुसार गणपति के स्थापित प्रतिमा की पूजा पूरे नौ दिन की जाती है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर मुंबई के लाल बाग में गणपति की सबसे विशाल प्रतिमा स्थापित की जाती है।