UP में अब शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन करना होगा अपराध, अंतिम संस्कार के लिए जारी की गई गाइडलाइन

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi Government) ने दुर्घटनाओं या आपराधिक मामलों में मृत शरीर के साथ सड़क या सार्वजानिक स्थान पर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सख्त नियम बनाए हैं। अब प्रदेश में यह दंडनीय अपराध होगा। शव के सम्मानजनक अंतिम संस्कार के लिए हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका पर दिए गए आदेश के अनुपालन में गृह विभाग ने एक एसओपी तैयार की है। इसके तहत यदि परिवारीजनों द्वारा स्वयं या भीड़ जुटाकर रास्ते या सार्वजनिक स्थान पर शव रखकर प्रदर्शन किया तो इसे शव का अपमान मानते हुए उनके विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

SOP के मुताबिक पोस्टमॉर्टम के बाद परिवार को शव सौंपते वक्त लिखित सहमति ली जाएगी कि वे शव को पोस्टमार्टम हाउस से सीधे अपने घर ले जाएंगे और धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार अंत्येष्टि स्थल पर ले जाएंगे। इस दौरान वे बीच रास्ते में कहीं भी शव रखकर भीड़ एकत्र करने, जाम लगाने अथवा किसी दल या संगठन के सहयोग से धरना-प्रदर्शन नहीं करेंगे। इसी तरह अगर कोई समूह या संगठन शव के साथ प्रदर्शन करता है और कानून व्यवस्था के खिलाफ कार्य करता है तो उसके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।

शव को रात में जलाने के लिए भी एसओपी जारी

हाथरस कांड के बाद रात में शव जलाने के लिए भी एसओपी में नियम बनाए गए हैं। अगर किसी शव का रात में अंतिम संस्कार किया जाना है तो उसके लिए पहले परिवार से अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की जाएगी। इसके साथ ही इस दौरान जिला प्रशासन और परिजनों के बीच हुए संवाद व संदेशों का डाटा भी एक साल तक सुरक्षित रखना होगा।

SOP में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अगर किन्हीं परिस्थितियों में परिवारीजन द्वारा शव लेने से इनकार किया जाता है तो उस स्थिति में क्या करना है। पहले तो प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा परिवार को मनाने की कोशिश की जाएगी। इसके बावजूद अगर परिवार नहीं मानता है तो स्थानीय लोगों का समूह बनाकर शव का पंचनामा भरकर डीएम के निर्देशानुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा। एसओपी में अज्ञात शवों के अंत्येष्टि के लिए भी प्रक्रिया तय की गई है।