विनिवेश पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, BPCL-SCI-CONCOR समेत 5 कंपनियों की हिस्सेदारी बेचेगी

मोदी सरकार सरकारी कंपनियों में विनिवेश के मोर्चे पर अब तेजी से फैसले ले रही है। मोदी कैबिनेट ने बुधवार को है। सरकार ने बीपीसीएल समेत पांच कंपनियों के स्ट्रैटेजिक विनिवेश का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन कंपनियों में मैनेजमेंट कंट्रोल भी सरकार ने छोड़ने का फैसला किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैबिनेट ने BPCL, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कॉनकोर समेत पांच कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दी है। सीतारमण ने कहा कि कैबिनेट ने 7 CPSEs में विनिवेश को मंजूरी दी है। कैबिनेट ने SCI में 63.75% हिस्सेदारी औऱ कॉनकोर में 30.8% हिस्सेदारी घटाने की मंजूरी दी। खरीदार को SCI का मैनेजमेंट कंट्रोल भी मिलेगा। नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEEPCO) की 100% हिस्सेदारी NTPC को दी जाएगी। वहीं टीएचडीसीएल इंडिया लिमिटेड (THDCIL) का मैनेजमेंट कंट्रोल भी NTPC को मिलेगा।

बीपीसीएल और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन के अलावा जिन और तीन कंपनियों में विनिवेश का फैसला किया गया है, वे हैं शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और टीएचडीसीआईएल। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि भारत पेट्रोलियम लिमिटेड का रणनीतिक विनिवेश होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी बीपीसीएल के विनिवेश से नुमालीगढ़ रिफाइनरी को अलग रखा गया है। उसके बाद प्रबंधन नियंत्रण के साथ बीपीसीएल में सरकार की 53.29% हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी गई। मंत्रिमंडल ने एससीआई में सरकार की पूरी 63.75% हिस्सेदारी तथा कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में 30.9% हिस्सेदारी बेचने को भी मंजूरी दे दी। सरकार की कॉनकार में फिलहाल 54.80% हिस्सेदारी है। दरअसल मुनाफे में चल रही भारत पेट्रोलियम का हिस्सा बेचने से सरकार को करीब 60,000 करोड़ रुपये की मोटी रकम मिल सकती है। गत 30 सितंबर को विनिवेश पर गठित सचिवों की एक कोर टीम ने भारत पेट्रोलियम की हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दी थी। बीपीसीएल मुनाफे में चलने वाली कंपनी है, इसलिए सऊदी अरामको, रोसनेफ्ट, कुवैत पेट्रोलियम, एक्सनमोबिल, शेल, टोटल एसए और अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी जैसी दिग्गज अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इसकी हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगा सकती हैं। वित्त वर्ष 2018-19 में बीपीसीएल को 7,132 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।

दरअसल कैबिनेट की बैठक से पहले वित्त मंत्री ने कहा था कंपनियों का विनिवेश मार्च 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि सरकार ने इस वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है। तो बीपीसीएल की बिक्री से उसे अकेले इस लक्ष्य का करीब 60 फीसदी हिस्सा हासिल हो जाएगा।

इसी के साथ ही वित्त मंत्री ने कहा है कि प्याज की बढ़ती कीमतों के बीच 1.2 लाख मीट्रिक टन प्याज के आयात को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसके लिए प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव है। सरकार ने प्याज की उपलब्धता बेहतर बनाने के लिये निजी आयात को भी मंजूरी दी है और ध्रुमीकरण एवं स्वच्छता के प्रावधानों को भी सरल बनाया है। सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब घरेलू बाजार में प्याज की कमी से दाम आसमान पर पहुंच गये हैं। दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गयीं। खरीफ सत्र 2019-20 में प्याज उत्पादन में 26 प्रतिशत गिरावट के कारण यह संकट उत्पन्न हुआ है। सरकार ने आयात सुनिश्चित करने के अलावा निर्यात को प्रतिबंधित करने, भंडार की सीमा तय करने समेत कई कदम उठाये हैं।