उत्तर प्रदेश के फरुर्खाबाद के एक सरकारी अस्पताल में 49 नवजातों की मौत होने के बाद अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के विरोध में मंगलवार से जिले के सरकारी चिकित्सक सामूहिक अवकाश पर चले गए।
जानते है क्या है पूरा मामला -मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सोमवार को राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ), मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) और एक वरिष्ठ बाल विशेषज्ञ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
एक गैर-तकनीकी टीम सही इलाज नहीं मिलने, उचित ध्यान नहीं देने और ऑक्सीजन की कमी के चलते 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच नवजात गहन चिकित्सा इकाई में 30 शिशुओं और प्रसव कक्ष में 19 शिशुओं की मौत की जांच कर रही हैं।
डॉक्टर्स ने रखा अपना पक्ष -# प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) संघ ने राज्य सरकार से नवजातों की मौतों की जांच करने के लिए एक तकनीकी टीम का गठन करने का आग्रह किया है।
# राज्य सरकार पर जल्दबाजी और दबाव में फैसला लेने का आरोप लगाते हुए चिकित्सकों ने आगाह किया है कि निर्दोष चिकित्सकों का उत्पीड़न फौरन बंद किया जाना चाहिए।
# प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) प्रशांत त्रिवेदी को भेजी गई एक विज्ञप्ति में पीएमएस चिकित्सकों ने भी तीनों चिकित्सकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को फौरन वापस लेने की मांग की है।
# जिला पीएमएस एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक यादव और महासचिव अमित शाह ने कहा कि केवल गंभीर रूप से अस्वस्थ्य बच्चों को नवजात गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती किया जाता है और 'चिकित्सक सीमित संसाधनों व कर्मचारियों के साथ ही उनका जीवन बचाने का भरपूर प्रयास करते हैं।
# उन्होंने इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से भी बात की है।
संयुक्त निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य करण सिंह मंगलवार को फरु खाबाद पहुंचे और राज्य सकार के आदेश पर मामले की जांच शुरू कर दी.