सरकार ने किसानों को भेजा लिखित प्रस्ताव, थोड़ी देर में सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 14वां दिन है। किसानों और सरकार के बीच बातचीत का रास्ता निकला है। सरकार की तरफ से किसानों को कानूनों में संशोधन को लेकर एक प्रस्ताव किसानों के भेज दिया गया है। किसान इसपर विचार विमर्श करने के लिए दोपहर 1 बजे सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर एक बैठक करेंगे। केंद्र की ओर से इस प्रस्ताव में APMC एक्ट और MSP पर सरकारों को लिखित भरोसा दिया गया है।

ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोला ने कहा है कि सरकार अगर संशोधन की बात कर रही है तो, हमारा जवाब साफ है। संशोधन नहीं बल्कि, कानून वापसी का लिखित भरोसा मिलेगा तो ही विचार करेंगे। सरकार की चिट्ठी आएगी और हमें पॉजिटिव लगेगी तो कल मीटिंग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने लिखित में प्रस्ताव देने को कहा है, इसलिए हम उसपर अपने साथियों से बात करेंगे।

किसानों को दिए जाने वाले लिखित प्रस्ताव में सरकार मुख्य रुप से ये पांच मुद्दों को शामिल कर सकती है। इन मसलों पर सरकार और किसानों के बीच हुई बैठकों में चर्चा हुई है और सरकार की ओर से कुछ ढिलाई के संकेत दिए गए हैं।

- APMC एक्ट (मंडी सिस्टम) को मजबूत करना।
- ट्रेडर्स के साथ व्यापार को सिस्टमैटिक तरीके से लागू करना।
- कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग में अब किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार दिया जाएगा।
- MSP जारी रहने का प्रस्ताव।
- पराली जलाने के खिलाफ सख्त हुए कानून में कुछ संशोधन।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा- 'केंद्र की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। आज होने वाली छठे दौर की वार्ता रद्द हो गई है। ड्राफ्ट पर चर्चा होगी और आगे फैसला तय किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि शाम चार पांच बजे तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।'

आपको बता दें कि बीते दिन भारत बंद खत्म होने के बाद करीब एक दर्जन किसान नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। बैठक में सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे, हालांकि किसानों की मांग पर कुछ संशोधन हो सकते हैं। किसानों की ओर से बार-बार कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही है।

केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने भी बुधवार को बयान दिया कि आज सरकार की ओर से प्रस्ताव जाएगा, उम्मीद है कि देश के हित में इस मसले का हल जल्द निकलेगा।

अमित शाह से चर्चा में बात क्यों नहीं बनी?

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को किसानों के साथ पहली बार मीटिंग की। बैठक के लिए 5 किसान नेताओं को बुलाया गया था, बाद में 13 मिले। कुछ किसानों ने यह कहते हुए विरोध किया कि एक दिन पहले बैठक क्यों और 40 की जगह 13 सदस्य ही क्यों? बैठक पहले शाह के घर पर थी, आखिरी समय में जगह बदलकर ICAR गेस्ट हाउस तय कर दी गई। ऐसे में 2 किसान बैठक में नहीं आ सके और बाकी किसानों ने उनके बिना चर्चा शुरू करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस उन 2 किसानों को एस्कॉर्ट कर रात करीब 9:15 बजे लेकर आई।

मीटिंग में शाह ने कई एक्सपर्ट्स बुला रखे थे, जो किसानों को समझा रहे थे कि किस बदलाव का आगे चलकर क्या असर होगा। फिर भी किसान नेता अपनी आपत्तियां दर्ज करा रहे थे, इसलिए सुझाव के आधार पर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही थी।

आंदोलन के मसले पर विपक्ष भी एक्टिव

किसानों के आंदोलन के बीच विपक्ष अपनी रणनीति बनाने में जुटा है। 20 सियासी दल किसानों की मांगों का समर्थन कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में बुधवार को एनसीपी नेता शरद पवार और अकाली दल के सुखबीर बादल की बैठक चल रही है। इससे पहले अकाली दल नेता प्रेम चंदूमाजरा शरद पवार से मिलने उनके घर आए थे। चंदूमाजरा ने कहा है कि शरद पवार भी चाहते हैं कि मुद्दे का हाल बातचीत से निकले। अगर सरकार ने किसानों की बात नहीं मानी तो आगे उसी के हिसाब से रणनीति बनेगी। विपक्ष के 5 नेता आज शाम 5 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे। इनमें राहुल गांधी और शरद पवार भी शामिल होंगे।