किसान नेता बोले- 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद आगे की स्ट्रैटजी तय करेंगे

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 2 महीने हो गए हैं। सरकार से 12 दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकलने के बाद किसान अब पूरी तरह 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड की तैयारियों में जुटे हैं। किसान नेता कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि अब ट्रैक्टर परेड के बाद आगे की स्ट्रैटजी तय करेंगे। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा दिल्ली की सीमाओं पर लगाए गए अवरोधकों को 26 जनवरी को हटा दिया जाएगा और किसान राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करके ट्रैक्टर रैलियां निकालेंगे। एक और किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पत्रकारों को बताया कि चूंकि हजारों किसान इस परेड में हिस्सा लेंगे, लिहाजा इसका कोई एक मार्ग नहीं रहेगा। इस बीच, यूनियनों ने 26 जनवरी की परेड के मद्देजनर एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। एक किसान नेता ने कहा कि टैक्टरों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिये 2,500 स्वयंसेवक तैनात रहेंगे। भीड़ के अनुसार उनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।

पंजाब के किसान यूनियनों की बैठक की अध्यक्षता करने वाले कीर्ति किसान यूनियन के अध्यक्ष निर्भयी सिंह धुडिके ने कहा कि राज्य से एक लाख से अधिक ट्रैक्टर आने की उम्मीद है।

किसान नेताओं ने कहा कि पांच मार्गों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है और हर मार्ग पर किसान ट्रैक्टरों से 100 किलोमीटर तक का सफर तय करेंगे। उन्होंने कहा कि 70 से 78 प्रतिशत मार्ग दिल्ली में होंगे जबकि शेष मार्ग राष्ट्रीय राजधानी से बाहर होंगे। सूत्रों ने कहा कि सिंघू बॉर्ड से ट्रैक्टर परेड का एक संभावित मार्ग गांधी ट्रांसपोर्र्ट नगर होगा। यहां से परेड कंझावाल और बवाना इलाकों से होती हुआ जाएगी और वापस प्रदर्शन स्थल पर लौट आएगी। उन्होंने कहा कि टीकरी बॉर्डर पर डटे किसान प्रदर्शन स्थल से अपनी परेड शुरू करेंगे और यह नांगलोई, नजफगढ़, बादली, और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे होती हुई जाएगी।

किसानों ने सरकार का प्रपोजल ठुकराया

सरकार ने बुधवार को 11वें दौर की मीटिंग में किसानों को प्रपोजल दिया था कि कृषि कानून डेढ़ साल तक होल्ड किए जा सकते हैं, लेकिन किसान नहीं माने। उन्होंने शुक्रवार की मीटिंग में सरकार को अपना फैसला बताते हुए कहा कि कानून वापस होने चाहिए। सरकार ने भी कह दिया, 'हमारे प्रपोजल पर आप फैसला नहीं ले सके। जब फैसला कर लें तो बता दीजिएगा, बात कर लेंगे। लेकिन, अब मीटिंग की कोई तारीख नहीं दे रहे।'

सरकार के प्रपोपल पर फिर से विचार, लेकिन सहमति नहीं

किसान नेताओं ने शनिवार को लंबी बैठक कर कानूनों के कार्यान्वयन को 18 महीने टालने के केन्द्र सरकार के प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई। इससे पहले शुक्रवार को सरकार ने कहा था कि अगर किसानों को प्रस्ताव मंजूर है तो वे शनिवार तक इस बारे में सरकार को बता सकते हैं।

हरियाणा किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'आंदोलन शुरू होने के समय से ही हमारी मांग बिल्कुल स्पष्ट है। हम इन तीन कृषि कानूनों को पूरी रद्द करने की मांग करते हैं। इससे कम पर कोई बात नहीं बनेगी।'