सरकार मनाती रही, किसान रुठे रहे, 5वीं मीटिंग में किसानों का 5 तरह से विरोध

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का शनिवार को 10वां दिन था। सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। अब सरकार ने अपना प्रस्ताव तैयार करने के लिए चार दिन और मांग लिए हैं। यानी बैठक बेनतीजा रही। अब अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी। बैठक के दौरान किसान नेता 3 सवालों पर हां या ना में जवाब जानने के लिए अड़ गए। उधर, बैठक के बाद सरकार कहने लगी कि हम हर गलतफहमी दूर करने को तैयार हैं, लेकिन किसान सुझाव दे देते तो अच्छा रहता। दिल्ली में शनिवार को हुई बैठक में किसानों ने 5 तरह से तल्खी दिखाई। कभी वे मुंह पर उंगली रखकर मौन साधकर बैठ गए तो कभी कड़े शब्दों में सरकार को अल्टीमेटम दिया। पढ़ें, विज्ञान भवन में हुई इस बैठक में किसानों के विरोध करने का तारीख ये रहा...

मौन व्रत

सरकार और किसानों के बीच बैठक को चार घंटे गुजर चुके थे। कोई हल निकलता नहीं दिख रहा था। इसके बाद किसानों ने मौन व्रत अपना लिया। सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोमप्रकाश अपनी बात रखते रहे, लेकिन किसान मुंह पर उंगली रखकर बैठ गए। वे सरकार से अपनी मांगों पर हां या ना में यह जवाब चाहते थे कि सरकार कृषि कानूनों को खत्म करेगी या नहीं? कुछ किसानों ने मुंह पर उंगली रखकर हां या ना लिखा पोस्टर भी आगे कर दिया।

फिर अपना खाना साथ लाए

मीटिंग के दौरान दोपहर करीब 4 बजे लंच ब्रेक हुआ। गुरुवार की तरह इस बार भी किसानों ने सरकारी खाना नहीं खाया। किसान नेताओं के लिए कार सेवा के जरिए खाना लाया गया, जिसे उन्होंने जमीन पर बैठकर खाया। वे पानी और चाय तक अपने साथ लाए थे।

वॉकआउट का अल्टीमेटम

बैठक के दौरान एक बार स्थिति इतनी तल्ख हो गई कि किसानों ने सरकार से यह तक कह दिया कि या तो आप हमारी मांगों पर फैसला करें, नहीं तो हम मीटिंग छोड़कर जा रहे हैं।

हमारे पास सालभर आंदोलन के इंतजाम

बैठक के दौरान किसानों ने सरकार से यह भी कहा कि हम पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। हमारे पास एक साल की व्यवस्था है। अगर सरकार यही चाहती है तो हमें कोई दिक्कत नहीं। हम हिंसा का रास्ता भी नहीं अपनाएंगे। इंटेलीजेंस ब्यूरो आपको बता देगी कि हम धरनास्थल पर क्या कर रहे हैं।

हमें कॉर्पोरेट फार्मिंग नहीं चाहिए, कानून रद्द करें

किसानों ने सरकार से कहा कि हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते। इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसानों को नहीं। किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानून मंडी व्यवस्था और मिनिमम सपोर्ट प्राइस को खत्म करने के लिए है। इससे कॉर्पोरेट्स को फायदा होगा। कानून रद्द करने से कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं है।

बैठक के बाद सरकार बोली- सुझाव मिलते तो अच्छा होता

करीब पांच घंटे की बैठक खत्म होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने MSP और APMC पर पिछली बैठक में कही बातें दोहराईं।

- MSP: कृषि मंत्री ने कहा कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस की व्यवस्था जारी रहेगी। इस पर किसी भी तरह का खतरा नहीं है। फिर भी किसी के मन में कोई शंका है तो सरकार समाधान के लिए पूरी तरह तैयार है।

- APMC: तोमर बोले कि यह एक्ट राज्य का है और APMC मंडी को किसी भी प्रकार से प्रभावित करने का हमारा इरादा नहीं है। कानूनी रूप से भी वह प्रभावित नहीं होगी। इस पर गलतफहमी है तो सरकार समाधान के लिए तैयार है।

- सुझाव भी चाहिए: कृषि मंत्री ने कहा कि हमने किसानों से कहा है कि समाधान का रास्ता खोजने की कोशिश में अगर किसानों से सुझाव मिल जाते तो उचित होगा। हम इंतजार करेंगे।

- बुजुर्गों-बच्चों को घर भेजिए: सरकार ने कहा कि सर्दी का सीजन है। कोरोना का संकट है, इसलिए बुजुर्गों और बच्चों को किसान नेता घर भेज देंगे तो ठीक रहेगा। किसानों को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं कि वे अनुशासन के साथ आंदोलन कर रहे हैं। अनुशासन बना रहे, यह जरूरी है।

- मोदी सरकार की उपलब्धियां बताईं: तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थी, है और रहेगी। अगर आप मोदीजी के छह साल के काम को देखेंगे तो किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। MSP बढ़ी है। एक साल में हम 75 हजार करोड़ रुपए किसानों के खातों में भेजे हैं। 10 करोड़ किसानों को 1 लाख करोड़ से ज्यादा पैसा दे चुके हैं।