ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिला देने वाले "अंग्रेजों भारत छोड़ो" आन्दोलन को 8 अगस्त को 76 साल पूरे होने वाले हैं। इस आन्दोलन का हमारे देश की आजादी म बड़ा योगदान रहा हैं क्योंकि इस आन्दोलन की वजह से देश की जनता ने खुद मोर्चा सँभालते हुए अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा डाली थी। आज भी जब इन आन्दोलन के बारे में पढ़ते हैं तो खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं कि हम एक ऐसे देश के वासी हैं जिनके पूर्वजों ने अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए खुद की जान की फिक्र किये बिना अंग्रजों को धुल चटाई। इस गर्व को महसूस करते हुए आज हम आपको भारत छोड़ो आन्दोलन से जुडी कुछ रोचक बातों के बारे में बताने जा रह हैं।
* 8 अगस्त 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसे 'भारत छोड़ो' के नाम से जाता है। इससे पहले भी आजादी के संघर्ष के लिए कांग्रेस ने कई प्रस्ताव पारित किए थे लेकिन इस प्रस्ताव ने पूरी लड़ाई का नया मोड़ दे दिया था। उसी रात देश के कई नेताओं को ब्रिटिश हुकूमत ने जेल में डाल दिया था।
* कांग्रेस के इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने आधे घंटे से ज्यादा समय तक भाषण दिया था। इसी भाषण में उन्होंने नारा दिया था 'करो या मरो'। जिसका सीधा अर्थ निकाला गया कि भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर कोशिश करे।
* 9 अगस्त की सुबह अंग्रेज सरकार के 'ऑपरेशन ज़ीरो ऑवर' के तहत कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और गांधी जी को पूना के 'आगा ख़ाँ महल' में तथा कांग्रेस कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों को अहमदनगर के दुर्ग में रखा गया।
* कांग्रेस को अवैध संस्था घोषित कर और इसकी सम्पत्ति को जब्त कर ली गई। जुलूसों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
* गांधी जी सहित सभी बड़े नेता जेल में थे। आंदोलन की अगुवाई के लिए कोई जनता ने खद ही मोर्चा संभाल लिया। आंदोलन की तीव्रता बढ़ती जा रही थी और अंग्रेज सरकार हैरान थी कि बिना किसी नेता के आंदोलन चरम पर कैसे पहुंच रहा है।
* सरकार ने जब आन्दोलन को दबाने के लिए लाठी और बंन्दूक का सहारा लिया तो जनता भी हिंसक हो गई। रेल की पटरियाँ उखाड़ी गईं और स्टेशनों को आग के हवाले कर दिया गया। मुंबई, अहमदाबाद जमशेदपुर में मज़दूरों ने हड़ताल कर दी। संयुक्त प्रांत में बलिया एवं बस्ती, बम्बई में सतारा, बंगाल में मिदनापुर एवं बिहार के कुछ भागों में 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय अस्थायी सरकारों का ऐलान कर दिया गया।
* सरकार ने 13 फ़रवरी, 1943 ई। को 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय हुए विद्रोहों का पूरा दोष महात्मा गाँधी एवं कांग्रेस पर लगा दिया। भारत में इसे आंदोलन का नाम अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
* लॉर्ड वावेल की जगह लॉर्ड माउंटबेटन को फ़रवरी 1947 ई। में भारत का वायसराय नियुक्त किया गया। इसके बाद कई तरह के संघर्षों के बाद आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया।