स्वास्थ्य विशेषज्ञों का बड़ा दावा, मानों या न मानों लेकिन भारत में शुरू हुआ कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन

देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में अब तेजी आ गई है। कोरोना संक्रमितों की संख्या 2 लाख 7 हजार 183 हो गई है। 1 लाख 285 मरीज ठीक हो चुके हैं। मंगलवार को एक दिन में सबसे ज्यादा 8 हजार 812 रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। भारत में लगातार अब रोजाना 7-8 हजार कोरोना के नए मामले सामने आ रहे है।

जब सबसे ज्यादा मामले

तारीख - केस
1 जून - 7722
31 मई - 8789
30 मई - 8364
29 मई - 8138
27 मई - 7246
28 मई - 7254

संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में भारत ने अब जर्मनी और फ्रांस को भी पीछे छोड़ दिया है। इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि भारत में अब इस वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन का दावा करने वाली इस टीम में एम्स के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ ही इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आईपीएचए), इंडियन एसोसिएशन आफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) और ऑल इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट (आईएई) के विशेषज्ञ शामिल हैं। इन विशेषज्ञों का कहना है कि देश के कुछ हिस्सों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन तेजी से फैल रहा है। कुछ बड़े शहरों और अलग-अलग इलाकों में रहने वाली जनसंख्या के बीच इस वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हो गया है। वैसे अभी तक इस मामले में सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है।

महामारी विशेषज्ञों की राय नहीं ली गई

टीम का कहना है कि नीति निर्माताओं ने स्पष्ट रूप से सामान्य प्रशासनिक नौकरशाहों पर भरोसा किया जबकि इस पूरी प्रक्रिया में महामारी विज्ञानियों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक विज्ञानिकी क्षेत्र के विशेषज्ञों की भूमिका काफी सीमित थी। इस महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में महामारी विशेषज्ञों से कोई चर्चा नहीं की गई। टीम का कहना है कि यदि सरकार ने महामारी से निपटने के उपायों पर महामारी विशेषज्ञों की राय ली होती तो शायद बेहतर उपाय किए जा सकते थे। टीम का कहना है कि देश इस समय मानवीय संकट और महामारी के रूप में भारी कीमत चुका रहा है। टीम की ओर से तैयार रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी जा चुकी है।

कड़े लॉकडाउन का हुआ फायदा

इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों का कहना है कि देश में लगे कड़े लॉकडाउन का एक फायदा यह जरूर हुआ है कि इससे कोरोना के फैलने का समय बढ़ गया है जिससे इसके कर्व को फ्लैट किया जा सके। लॉकडाउन का एक फायदा यह भी हुआ है कि हेल्थ केयर सिस्टम पर अचानक ज्यादा बोझ नहीं पड़ा और हम स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने में कामयाब रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च से 31 मई तक लगा लॉकडाउन काफी कड़ा था, लेकिन फिर भी कोरोना केस जो 25 मार्च को महज 606 थे, वे 24 मई को बढ़ाकर 1 लाख 38,845 तक पहुंच गए। इसका मतलब साफ है कि इस दौरान भी केसों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चौथे लॉकडाउन के दौरान दी गई रियायतों के कारण केसों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय यह मानना काफी मुश्किल है कि कोरोना महामारी को इस स्टेज में ही खत्म किया जा सकता है और वह भी तब जब कम्युनिटी ट्रांसमिशन अलग-अलग क्षेत्र की आबादियों में फैल चुका है