कॉकटेल वैक्सीन पर एक्सपर्ट्स की राय, जो हुआ वो बेहद गैर-जिम्मेदाराना लेकिन चिंता की कोई बात नहीं

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी लापरवाही सामने आई थी यहां, स्वास्थ्य कर्मियों ने गांव के कई लोगों को कोविड टीकाकरण की पहली डोज कोविशील्ड और दूसरी डोज कोवाक्सीन की लगा दी। जैसे ही यह मामला सामने आया पूरे देश में दहशत फैल गई कि ऐसी लापरवाही से तो लोगों की जान पर बन आएगी। लेकिन टीकाकरण पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों के समूह का मानना है कि अगर एक व्यक्ति को पहली डोज कोविशील्ड और दूसरी डोज को कोवाक्सीन की लग भी जाती है तो किसी भी तरीके का कोई नुकसान नहीं है।

देश में कोविड-19 टीकाकरण को लेकर बनाई गई कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि अगर दो डोज में दोनों अलग-अलग कंपनियों का टीका लग जाता है, तो इसमें किसी भी तरीके भी तरीके से घबराने की जरूरत नहीं है। इससे कोई नुकसान नहीं होगा। हालाकि, उन्होंने इस बात पर नाराजगी भी जताई है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन के अंदर इनएक्टिव वायरस होता है। जो शरीर के अंदर जाकर किसी भी तरीके का कोई नुकसान नहीं कर सकता है। इस कमेटी के सदस्य के मुताबिक यह जो घटना हुई है इसे प्रोग्राम एरर के नाम से जाना जाता है। कमेटी के वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि उन्हें इस बात का अंदेशा था कि इतने बड़े टीकाकरण अभियान में 'प्रोग्राम एरर' हो सकता है। वे कहते हैं कि दो अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन डोज लगाने से तो कोई नुकसान नहीं हो सकता है लेकिन जो घटना उत्तर प्रदेश में या दूसरे अन्य राज्यों में हुई है वह बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। उनका कहना है कि ऐसी लापरवाही से टीकाकरण अभियान पर असर निश्चित तौर पर पड़ता है। हालांकि इसका किसी भी तरीके से जानमाल का कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन देश की इतनी बड़ी आबादी में जब यह संदेश जाता है, तो लोगों में एक भय पैदा होता है। इसको दूर करने के लिए पूरे सरकारी अमले को लगना पड़ता है जिसमें बहुत वक्त बर्बाद होता है।