आज पेश होगा आर्थिक सर्वे, इन 5 आंकड़ों से जानिए देश की अर्थव्यवस्था का हाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री बनी निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 5 जुलाई शुक्रवार को सुबह 11:00 बजे अपने बजटीय भाषण की शुरुआत करेंगी। वित्त मंत्री अपने भाषण की शुरुआत लोकसभा स्पीकर को संबोधित करके शुरू करेंगी। इसके अलावा 8 जुलाई को बजट पर आम चर्चा हो सकती है और 11 से 17 जुलाई के बीच अनुदान मांगों पर भी चर्चा हो सकती है। इससे पहले आज गुरुवार को निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) लोकसभा में दोपहर 12 बजे आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी। अक्सर देश का आर्थिक सर्वे आम बजट के लिए नीति दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करता है, इससे देश की आर्थिक सेहत का पता चलता है। आर्थिक सर्वे में देश के विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है। इसे वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार आर्थिक सर्वे करके तैयार करते हैं। य‍ह वित्‍त मंत्रालय का बहुत ही महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज होता है। खासकर इसमें सरकार की नीतियों के बारे में जानकारी होती है। इसके जरिये सरकार ये बताने की कोशिश करती है कि उसने आम लोगों के हित में जो योजनाएं शुरू की हैं। उसका प्रदर्शन कैसा है और अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में कितनी बेहतर संभावनाएं हैं। मोदी सरकार के लगातार दूसरी बार अस्तित्व में आने के बाद हर किसी की नजर रोजगार, स्वास्थ्य, विदेशी निवेश और मेक इन इंडिया समेत कई सेक्टरों पर रहेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार पकड़े। आर्थिक सर्वे से पहले इन 5 आंकड़ों से जानिए देश की अर्थव्यवस्था का हाल।

मेक इन इंडिया (Make In India)

मेक इन इंडिया भारत सरकार द्वारा देशी और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में ही वस्तुओं के निर्माण पर बल देने के लिए बनाया गया है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में 25 सितंबर, 2014 को शुरू की भारत में बनाओ। पहल के पीछे प्रमुख उद्देश्य रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था के 25 क्षेत्रों में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हैं। 2014-15 में 5.4 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट रूके हुए थे जिसमें 3.3 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट निजी क्षेत्रों के थे और 2018-9 में बढ़कर 6.7 लाख करोड़ रुपए का हो गया। 2018-19 में कुल 169 प्रोजेक्ट अधर में लटके थे जिसमें 97 तो निजी क्षेत्रों के थे। इसके अलावा 10.1 लाख करोड़ के नए प्रोजेक्ट आ सकते हैं जिसमें 6.6 लाख करोड़ तो निजी क्षेत्रों के हैं। दूसरी ओर, मेक इन इंडिया अभियान के तहत 5.9 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे हुए जिसमें 2.7 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट भी शामिल हैं। अब उम्मीद होगी कि इस बार कई बंद प्रोजेक्ट्स भी अपनी राह पकड़ेंगे और मेक इन इंडिया अभियान कामयाबी की ओर बढ़ेगा।

'भारत में बनाओ' अर्थव्यवस्था के निम्न 25 क्षेत्रों पर केंद्रित है:

- गाडियां

- ऑटोमोबाइल अवयव

- विमानन

- जैव प्रौद्योगिकी

- रसायन

- निर्माण

- रक्षा विनिर्माण

- इलेक्ट्रिकल मशीनरी

- इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियाँ

- खाद्य प्रसंस्करण

- सूचना प्रौद्योगिकी और बिजनेस प्रोसेस प्रबंधन

- चमड़ा

- मीडिया और मनोरंजन

- खनिज

- तेल और गैस

- फार्मास्यूटिकल्स

- बंदरगाह और शिपिंग

- रेलवे

- नवीकरणीय ऊर्जा

- सड़क और राजमार्ग

- अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान

- कपड़ा और परिधानों

- तापीय उर्जा

- पर्यटन और आतिथ्य

- कल्याण

उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana - PMUY)

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (PMUY) भारत के गरीब परिवारों की महिलाओं के चेहरों पर खुशी लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 को शुरू की गई एक योजना है। इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन मिलेंगे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए उपयोग में आने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देना है। योजना का एक मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उनकी सेहत की सुरक्षा करना भी है। 2016-17 में उज्ज्वला योजना के लिए 2,500 करोड़ खर्च किए गए। जो 2017-18 में बढ़कर 2,251 करोड़ हो गया। माना जा रहा है कि इस बार के वित्तीय वर्ष में यह राशि बढ़कर 3,200 करोड़ तक पहुंच जाएगी।

किसे मिल सकता है प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (PMUY) का लाभ?

PMUY में साल 2011 की जनगणना के हिसाब से जो परिवार बीपीएल (BPL) कैटेगरी में आते हैं, उन्हें PMUY का लाभ मिल सकता है। इस PMUY के तहत कुल 8 करोड़ BPL परिवारों को फ्री में LPG कनेक्‍शन उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य है।

विदेशी निवेश में वृद्धि की आस

किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहलाता है। भारत में 2017-18 की तुलना में 2018-19 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में मामूली कमी आई और 44.9 बिलियन डॉलर से घटकर यह 44.4 बिलियन डॉलर हो गया था। 2015-16 से लेकर हर साल देश में 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा विदेशी निवेश हुआ है। 2004-05 में देश में एफडीआई 3.2 बिलियन डॉलर था और इसमें लगातार वृद्धि ही देखी गई है। उम्मीद है कि इस बार बजट में कुछ ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि एफडीआई 45 बिलियन डॉलर के सर्वोच्च आंकड़े को पार कर जाए।

मनरेगा में बजट की बढ़ोतरी की आस

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 2 अक्टूबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है। देश में बेरोजगारी की दर अपने 4 दशक के इतिहास में सबसे खराब दौर में है। ऐसे में निचले तबके के लोगों को मनरेगा से काफी आस होगी जिससे उन्हें रोजगार मिलता रहा। 2015-16 में औसतन 49 दिन रोजगार मिला था जो 2018-19 में बढ़कर 51 दिनों का हो गया। मनरेगा के तहत 2015-16 में जहां 35,975 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई थी वो 2018-19 में बढ़कर 62,185 करोड़ हो गई। जनवरी-मई के बीच बेरोजगारी की दर 7 फीसदी तक पहुंच गई है। नए बजट में मनरेगा में राशि की बढ़ोतरी की उम्मीद है क्योंकि इसमें लगातार इजाफा हो रहा है। साथ ही बेरोजगारी की दर में भी गिरावट आए।

आयुष्मान भारत

'आयुष्मान भारत' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनिंदा और बेहद खास योजनाओं में से एक है। आयुष्मान भारत जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नाम से भी जाना जाता है कि शुरुआत का ऐलान पिछले साल के बजट में किया गया था। 2018-19 में आयुष्मान भारत पर 2,400 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था, जिसके 2019-20 के वित्त वर्ष में दोगुने से भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं। माना जा रहा है कि इस बार बजट में आयुष्मान भारत के लिए 6,400 करोड़ रुपए आवंटित की जा सकती है।
(इनपुट - Aajtak)