प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले 135 किलोमीटर लंबे स्मार्ट और हरित राजमार्ग ‘ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे’ का रविवार को उद्घाटन करेंगे। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का पहला हिस्सा बन कर तैयार है जो नौ किलोमीटर का है। जिससे दिल्ली के निज़ामुद्दीन पुल से गाज़ियाबाद के यूपी गेट तक की नौ किलोमीटर की दूरी सिर्फ दस मिनट में तय की जा सकेगी जिसके लिए पहले आधे घंटे से ज्यादा वक्त लगता था।
मेरठ हाइवे सोलर पॉवर से लैस होगा। आठ सोलर प्लांट बनाए गए हैं जिनमें करीब 4 हज़ार किलोवॅाट बिजली पैदा होगी। कुल 135 किलोमीटर लंबे ईपीई के उद्घाटन का मुख्य कार्यक्रम बागपत के खेकड़ा में होगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह करीब 11:25 बजे हरियाणा के सेवली स्थित टोल प्लाजा पर एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वे एक्सप्रेस वे का मुआयना करते हुए बागपत के लिए प्रस्थान कर जाएंगे। इस दौरान प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केन्द्रीय राज्यमंत्री एवं बागपत सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह आदि भी मौजूद रहेंगे। यह एक्सप्रेस वे देश की राजधानी दिल्ली को जाम और प्रदूषण से राहत दिलाएगा। इसी परियोजना के उद्घाटन में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों हाइवे अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर प्रधानमंत्री व्यस्त हैं तो इसे 1 जून से खोल दिया जाए।
27 महीने में तैयार हुआ एक्सप्रेस वे - ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2015 में रखी थी। इसका काम फरवरी 2016 में आरंभ हुआ। इस तरह यह 27 महीने में तैयार हुआ है। इस पर 11 हजार करोड़ आई लागत में 6000 करोड़ किसानों को जमीन के मुआवजा के तौर पर दिए गए हैं।
दोपहिया वाहन नहीं चलेंगे- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर दोपहिया वाहन सफर का आनंद नहीं ले सकेंगे। एनएचएआई की तरफ से फिलहाल दोपहिया वाहनों को अनुमति नहीं दी गई है। इसके साथ ही मार्ग पर ट्रैक्टर ले जाने पर भी रोक रहेगी।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे की खास बातें - 70 मिनट में तय हो सकेगा कुंडली से पलवल तक का सफर, पहले इसमें 4 घंटे लगते थे
- 135 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस वे पलवल गाजियाबाद और कुंडली को जोड़ेगा।
- 80 रखी गई है इस मार्ग पर वाहनों की न्यूनतम गति सीमा।
- 120 किलोमीटर प्रति घंटे रखी गई है गति सीमा कारों के लिए।
- 11,000 करोड़ रुपये की लागत आई है इस एक्सप्रेस वे की।
- 52 छोटे और बड़े पुल बनाए गए हैं मार्ग पर।
- 07 इंटरचेंज प्वाइंट हैं रास्ते में।
- 08 रेल ओवर ब्रिज और तीन फ्लाईओवर भी होंगे।
- 151 पैदल अंडपास और 70 वाहन अंडरपास बनाए गए हैं।
- 500 मीटर पर दोनों तरफ वर्षा जल संचयन की व्यवस्था होगी।
- 36 राष्ट्रीय स्मारकों को प्रदर्शित किया जाएगा।
- 40 झरने भी होंगे इस एक्सप्रेस वे पर
- 8 सौर संयंत्र बनाए गए हैं रोशनी के लिए जिनकी क्षमता 4 मेगावाट है।
- 40 फीसदी भारी वाहनों का बोझ घटेगा दिल्ली से।
रास्ते में आर्ट गैलरी एक्सप्रेस वे के रास्ते में आर्ट गैलरी बनाई गई है जिसमें 35 प्रोजेक्टर लगाए गए हैं। इन प्रोजेक्टरों के जरिए दिल्ली के बेतरीन दृश्यों को दिखाया जाएगा ताकि सफर के दौरान यात्री आनंद ले सके। रास्ते में देश के प्रमुख स्मारकों की प्रतिकृतियों का भी निर्माण किया गया है ताकि लोग देश से रूबरू हो सकें। रास्ते में यात्रियों के लिए कैंटीन, रेस्ट रूम, पेट्रोल पंप और वॉशरूम की सुविधा भी दी गई है।