बिहार का मखाना बना विदेशी जरूरत, 10 साल में दोगुना हुआ उत्पादन

बिहार में मखाना की खेती ने पिछले दस वर्षों में जबरदस्त उछाल लिया है। 2012 में 13 हजार हेक्टेयर पर सिमटी यह फसल अब 35,224 हेक्टेयर तक फैल चुकी है। कॉम्फेड (बिहार स्टेट मिल्क कोऑपरेटिव फेडरेशन) और राज्य कृषि विभाग की संयुक्त कोशिशों से सुधा डयरी ने मखाना अब पहली बार अमेरिका भेजा है, जिससे इसकी मांग और पहचान दोनों बढ़ रही है।

नई किस्मों और तकनीक ने बढ़ाई उत्पादकता

‘मखाना विकास योजना’ के तहत दरभंगा के अनुसंधान केंद्र ने ‘स्वर्ण वैदेही’ और पूर्णिया के भोला पासवान कृषि महाविद्यालय ने ‘सबौर मखाना 1’ जैसी अच्छे प्रदर्शन वाली किस्में विकसित की हैं। इन बीजों की रोपाई से एक हेक्टेयर पर उपज लगभग दोगुनी हो गई। साथ ही किसानों को गुनगुने पानी में उगाए जाने और तंत्रिका सिंचाई की ट्रेनिंग देकर गुणवत्ता में सुधार लाया गया है।

जीआई टैग से मजबूत ब्रांडिंग

20 अगस्त 2022 को मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से इसका ब्रांड वैल्यू और बढ़ गया। अब ‘मिथिला मखाना’ घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी अलग पहचान बना रहा है।

किसानों को मिल रही वित्तीय मदद

राजा्यमंत्री ने बताया कि 2019–20 में आरंभ हुई विकास योजना के तहत मखाना किसानों को बीज, यूरिया और कीटनाशकों पर अनुदान, तथा भंडार गृह बनाने पर सब्सिडी दी जा रही है। इस तरह करीब 25,000 किसान सीधे इससे जुड़कर आजीविका चला रहे हैं। साथ ही राज्य सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में मखाना महोत्सव आयोजित कर इसकी जागरूकता बढ़ाई जा रही है।

अब 16 जिले मखाना हब


दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा व खगड़िया के अलावा अब किशनगंज, बांका, बांका-सिटी, भागलपुर, कटिहार, मुंगेर, दरभंगा काडर को भी मखाना उत्पादन के लिए जोड़ा गया है। इससे बिहार 85% तक अपनी घरेलू मांग के साथ देश के अन्य हिस्सों को भी आपूर्ति कर रहा है।

राजस्व में 4.5 गुणा वृद्धि

2005 में मखाना/मत्स्य से मिले 3.83 करोड़ रुपये आज बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गए हैं। वित्त वर्ष 2025–26 में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा के बाद आगे इंतिजार है कि निर्यात प्रोत्साहन से यह आंकड़ा और भी बढ़ेगा।

बिहार ने मखाना को केवल रसोई के पकवान से बढ़ाकर खेती-व्यापार की नई पहचान दी है। नई बीज तकनीक, सरकारी अनुदान, जीआई टैग और निर्यात के चलते यह पारंपरिक फसल आज वैश्विक मंच पर चमक रही है। आने वाले समय में मखाना बोर्ड और और बेहतर मार्केटिंग इस सफलता को और मजबूत करेंगे।