2000 के नोटों की जमाखोरी हो रही हैं, इन्हें भी बंद कर देना चाहिए : पूर्व सचिव

कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था। उस वक्त 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए। इसके बदले 500 का नया नोट जारी किया था। सरकार ने 1000 का नोट पूरी तरह हटा लिया और पहली बार 2000 का नोट जारी किया था। नोटबंदी करने के पीछे मोदी सरकार का कहना था कि इससे नकली नोटों का खात्मा होगा, आतंकवाद और नक्सल गतिविधियों पर भी लगाम लगेगी और कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा।

आज नोटबंदी को तीन साल पूरे हो गए है। नोटबंदी पर आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि 2000 के नोटों का बड़ा हिस्सा सर्कुलेशन में नहीं है। इनकी जमाखोरी हो रही है, इन्हें बंद कर देना चाहिए। गर्ग के मुताबिक सिस्टम में काफी ज्यादा नकदी मौजूद है। 2000 के नोट बंद करने से कोई परेशानी नहीं होगी। गर्ग ने कहा कि दुनियाभर में डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ रहा है। भारत में भी ऐसा हो रहा है, हालांकि इसकी रफ्तार धीमी है। यहां 85% भुगतान कैश में हो रहे हैं। गर्ग ने सुझाव दिया कि बड़े कैश लेन-देन पर टैक्स या शुल्क लगाने, डिजिटल पेमेंट को आसान बनाने जैसे कदमों से देश को कैशलेस बनाने में मदद मिलेगी।