दिल्ली यूनिवर्सिटी से सामने आया कोरोना का भयावह रूप, 30 से अधिक टीचर्स की हुई मौत

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले शिक्षकों में से अब तक 30 की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है। यह संख्या डीयू में पढ़ा रहे शिक्षकों की है, जिसमें स्थायी और तदर्थ दोनों शिक्षक शामिल हैं। कई ऐसे शिक्षक हैं जो अपने परिवार के लिए आजीविका का एक मात्र आधार थे। सभी मौत एक मार्च से 10 मई के बीच हुई है।

लाइव हिंदुस्तान की खबर के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय में फिजिक्स एंड एस्ट्रोफिजिक्स विभाग के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक प्रो। विनय गुप्ता की मौत भी कोरोना के चलते हुआ। इसके अलावा बड़ी संख्या में डीयू कर्मचारियों का भी निधन हुआ है, जबकि सैकड़ों शिक्षक कोरोना से संक्रमित हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीब रे ने बताया कि यह क्रूर समय है, जिसमें हमारे साथी एक एक कर हमसे बिछड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह शिक्षक समुदाय के लिए चिंता का विषय है। कई रिटायर्ड शिक्षकों की भी कोरोना संक्रमण से मौत हुई है। शिक्षक समुदाय सहयोगी आधार पर बीमार शिक्षकों की हर तरह की मदद के लिए कदम उठा रहा है।

जो शिक्षक मारे जा रहे हैं, अगर वो अपना कार्यकाल पूरा करते तो परिवार के लिए कितनी आर्थिक सहायता कर पाते, इन आंकड़ों को मद्देनज़र रखते हुए डीयू शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी से लिखित तौर पर मृतकों के परिजनों के लिए ढाई करोड़ की सहायता राशि की मांग की है। राजीब रे के मुताबिक अनुकंपा के आधार पर कोरोना की भेंट चढ़े शिक्षकों के परिजनों के लिए नौकरी की भी मांग की गई है।

कोरोना संक्रमण से जिन शिक्षकों का निधन हो गया है, उनके परिवार को डीयू टीचर्स वेलफेयर फंड से भी आर्थिक मदद मुहैया कराई जाएगी। हाल ही में डीयू मैनेजिंग कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि एक मार्च के बाद जिन शिक्षकों की मौत हुई है, उनके परिजनों को अधिकतम दस लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी। 40 वर्ष की आयु तक के शिक्षकों के परिजनों को अधिकतम 10 लाख, 50 वर्ष की आयु तक के शिक्षकों के परिजनों को 8 लाख एवं इससे ऊपर आयु वर्ग के शिक्षकों की मौत होने पर परिजनों को 6 लाख की आर्थिक मदद की जाएगी। बैठक में तय हुआ कि तदर्थ शिक्षकों के परिजनों को एकमुश्त पांच लाख की मदद की जाएगी, चाहे वो शिक्षक वेलफेयर फंड का सदस्य हो या नहीं।