हमारा मंच और पंच वही, अब 40 लाख ट्रैक्टरों की होगी रैली: राकेश टिकैत

किसान आंदोलन का आज यानी सोमवार को 82वां दिन है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान जहां केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं, तो वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) किसान महापंचायतों में शिरकत कर जनसमर्थन जुटाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को हरियाणा के करनाल में इंद्री की अनाज मंडी में आयोजित किसान महापंचायत में राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, अभी जवानों और किसानों ने कानून वापसी का नारा लगाया है। हमने गद्दी वापसी का नारा नहीं लगाया। सरकार आप बनाते रहो, चलाते रहो। सरकार किसी की भी हो, हम सरकार से किसानों के लिए पॉलिसी पर बात करेंगे।' टिकैत ने कहा, 'जिन लोगों ने आमजन को बहका कर केंद्र में सत्ता हासिल की, अब वो देश बेच रहे हैं। तमाम सरकारी संस्थाओं को बेचा जा रहा है। देश का युवा बेरोजगार हो रहा है।' उन्होंने कहा कि यह कृषि कानून भी किसानों से उनकी खेती को छीनने के लिए लाया जा रहा है, लेकिन किसान ऐसा नहीं होने देंगे। किसान अपने हक को लेकर बंद कमरों में नहीं, खेत में फैसला करेंगे।

उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के मंच पर सभी किसान एकजुट हैं। हमारा मंच और पंच वही है, जहां पहले थे। अब पूरे देश में आंदोलन को लेकर जाएंगे। अब जो बड़ी रैली होगी, उसमें 40 लाख ट्रैक्टरों का लक्ष्य तय करेंगे।

बीकेयू के प्रवक्ता ने कहा कि आंदोलन को लेकर सभी एकजुट हैं। अब राजस्थान, गुजरात, यूपी समेत पूरे देश में जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब किसान ही देश के भविष्य का फैसला करेंगे। पूरे देश का विश्वास किसानों से जुड़ा है। संयुक्त मोर्चा पूरी तरह मजबूत है। इससे बौखलाए तत्व आंदोलन में धार्मिक रंग घोलकर एकता तोड़ना चाहते हैं लेकिन इससे सचेत रहना होगा। उन्होंने कहा कि आज जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिवंगत किसानों पर तंज कस रहे हैं, उन्हें किसान जिंदाबाद का नारा लगाना ही होगा। जब तक ऐसा नहीं होता, केंद्र सरकार को चैन से नहीं बैठने दिया जाएगा।

हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के बयान को राकेश टिकैत ने पूरी तरह अनुचित बताया, और कहा कि इस तरीके बयान नहीं देने चाहिए थे। वो श्रद्धांजलि दे सकते थे, लेकिन इस तरह किसानों की मौत का मजाक नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किसान घर पर होते तो उनकी मौत नहीं होतीं। क्या 6 महीने में 200 लोग भी नहीं मरेंगे? किसानों की मौतें उनकी इच्छा से हुई है। हालांकि बाद में दलाल ने सफाई भी दी कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।

18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन

वहीं, दूसरी ओर तीनों कृषि कानूनों की मांग को लेकर कुंडली बॉर्डर पर बैठे किसान अब सरकार पर दबाव बनाने के लिए 18 फरवरी को देशभर में रेल रोको आंदोलन करेंगे। ऐसे में रेलवे प्रशासन ने सोनीपत रेलवे स्टेशन परिसर और रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। दो रिजर्व बटालियन बुलाई हैं। 4 घंटे के लिए रेल रोको आंदोलन को लेकर भी रणनीतियां बनाई जा रही हैं। धरनास्थलों पर बैठे किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए और तेज करने की रणनीतियां बना रहे हैं। अंतिम फैसला संयुक्त मोर्चा की बैठक में होना है कि आगे आंदोलन को किस तरीके से आगे बढ़ाना है। फिलहाल आह्वान किया कि किसी भी कीमत में आंदोलन स्थल पर अशांति न हो और आवागमन व्यवस्था बेहतर रहे।