दिल्ली जल बोर्ड को मिला 28,400 करोड़ का फंड, हलफनामे से सुप्रीम कोर्ट में घिरी सरकार

नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) का फंड रिलीज ना करने के दिल्ली सरकार के आरोपों पर दिल्ली के वित्त विभाग ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि 2016 से अब तक डीजेबी को 28,400 करोड़ रुपए का फंड दिया गया, लेकिन बोर्ड कोई जवाबदेही नहीं चाहती है।

वित्त विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के जरिए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड को 2015-16 से अब तक 28,400 करोड़ रुपये दिए गए, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड ने इसके बदल में कोई जवाबदेही नहीं रखी और न ही शर्तों के हिसाब से इस फंड का इस्तेमाल किया।

दिल्ली के वित्त विभाग ने ये जवाब दिल्ली सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल उस याचिका को लेकर दिया गया है, जिसमें 3,000 करोड़ के बकाए की मांग की गई है। मुख्य सचिव ने कहा कि फरवरी 2018 से पानी/सीवेज के लिए घरेलू टैरिफ और जनवरी 2015 से सर्विस चार्ज में वृद्धि न होने की वजह से दिल्ली जल बोर्ड को हर साल 1,200 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व का नुकसान हो रहा है।

वित्त विभाग के सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए कहा कि 2016 से अब तक दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को 28,400 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके बदले में डीजेबी की तरफ से कोई जवाबदेही नहीं दी गई। वित्त सचिव ने कहा कि जब बोर्ड ने शर्तों के हिसाब से फंड का इस्तेमाल भी नहीं किया।

वित्त सचिव ने अपने हलफनामे में बताया कि 2023 में बकाएदारों की संख्या 11 लाख थी, जो अब बढ़कर 14 लाख हो गई है। यानी एक साल के भीतर तीन लाख बकाएदार और बढ़ गए हैं। हलफनामे में इसकी वजह भी बताई गई। वित्त सचिव ने बताया कि बकाएदारों को लगता है कि दिल्ली सरकार उनके बिल माफ कर देगी। ऐसे में दिल्ली जल बोर्ड पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है और उस पर लगने वाला ब्याज 73,000 करोड़ के पार चला गया है। डीजेबी द्वारा दिल्ली सरकार को बताया गया है कि वह इतना सक्षम नहीं है कि इस कर्ज को चुकाया जाए।

दिल्ली सरकार के वित्त विभाग के हलफनामे में कहा गया है कि उसने 2003-04 से 2022-23 (20 वर्ष) के बीच दिए फंड के डायवर्जन के संबंध में दिल्ली जल बोर्ड का विशेष ऑडिट किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि एक योजना के लिए निर्धारित धनराशि को अन्य योजनाओं में लगाया गया।

शीर्ष अदालत ने एक अप्रैल को प्रधान सचिव (वित्त) को उस याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अधिकारी विधानसभा द्वारा बजटीय मंजूरी के बावजूद दिल्ली जल बोर्ड को धन जारी नहीं कर रहे। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पिछली सुनवाई में कहा था कि नौकरशाह सरकार के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि डीजेबी को 1,927 करोड़ रुपये अभी भी जारी नहीं किए गए हैं।

नौकरशाही और सत्तारूढ़ सरकार में गतिरोध के बीच मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने 20 मार्च को शीर्ष अदालत का रुख किया था। प्रधान न्यायाधीश ने आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार को आश्वासन दिया था कि वह 31 मार्च को वित्त वर्ष खत्म होने के बाद भी डीजेबी के लिए निर्धारित धनराशि जारी करने का आदेश दे सकते हैं।