मोदी सरकार का दिवाली गिफ्ट, दिल्ली में अवैध कॉलोनियां होंगी नियमित

दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बड़ा दाव खेला है। कैबिनेट ने 11 साल से लंबित अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई। इसका ऐलान केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने किया। केंद्र के इस फैसले का अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोगों को सीधा फायदा मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट ने दिल्ली की अवैध कॉलोनियों में रहने वाले 40-50 लाख लोगों को ध्यान में रखते हुए ऐतिहासिक फैसला लिया है।

प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने इन कॉलोनियों को चिन्हित कर इनपर काम करने के लिए साल 2021 तक का समय मांगा था। केंद्र ने उनके लचर रवैये को देखते हुए खुद ही इन कॉलोनियों को नियमित करने को लेकर निर्णय लिया।

उन्होंने कहा कि अनियमित कॉलोनियों में रहने वाली आबादी को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहां रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं, इसलिए केंद्र ने वहां रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का फैसला लिया है। इससे वो लोग अपनी जमीन की खरीद-बिक्री से लेकर लोन तक लेने के योग्य हो जाएंगे।

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि कॉलोनियों को वैध करने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार एक साथ काम करेंगे और कॉलिनियों के निवासियों को उनका हक मिलेगा। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कॉलोनियों को नियमित करने के लिए दिल्ली सरकार ने ब्लू प्रिंट भी तैयार कर लिया है। 1797 कॉलोनियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, ये कॉलोनियां सरकारी जमीन पर बनी हैं। हाल ही में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के करीब 1797 अनधिकृत कॉलोनियों को वैध करने का फैसला किया था। इन कॉलोनियों में करीब 40 लाख लोग रहते हैं।

दिल्ली में 2 फेज में कॉलोनियों को नियमित करने का काम किया जा रहा है। पहले फेज में 1797 कॉलोनियां हैं। इसके बाद भी अगर कॉलोनिया बच गई हैं तो केंद्र ने लिखा है कि 1 जनवरी 2015 तक 1797 के अलावा कोई कॉलोनी बच गई है तो उसकी भी लिस्ट बनाई जाए। दिल्ली में अवैध कॉलोनियां का मुद्दा पहले भी उठता रहा है। चुनाव के दौरान इन कॉलोनियों के मुद्दे खूब उठते रहे हैं। दिल्ली सरकार ने 2 नवंबर, 2015 को अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा था।