देश की राजधानी दिल्ली में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया है। 8 फरवरी को वोटिंग होगी और 11 फरवरी को नतीजा आएगा। इसके साथ ही दिल्ली में आचार संहिता भी लागू हो गई है। राजधानी में सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी का मुकाबला एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से है। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें मिली थीं। भाजपा ने 3 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल सकी थी। 2015 में चुनाव आयोग ने 12 जनवरी को दिल्ली चुनाव की घोषणा की थी, 7 फरवरी को मतदान हुआ था और 10 फरवरी को नतीजे आए थे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव का शेड्यूल -नोटिफिकेशन - 14 जनवरी, मंगलवार
नॉमिनेशन की आखिरी तारीख – 21 जनवरी, मंगलवार
स्क्रूटनी – 23 जनवरी
नामांकन वापस लेने की तारीख - 24 जनवरी
वोटिंग - 8 फरवरी
नतीजे - 11 फरवरी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बोले मुख्य चुनाव आयुक्त?मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली में कुल 70 विधानसभाएं हैं, अभी की विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी, 2020 को खत्म हो रहा है। 58 सामान्य और 12 आरक्षित हैं। 1 करोड़ 46 लाख 92 हजार 136 वोटर है। दिल्ली में 2689 जगहों पर वोटिंग होगी। 13 हजार 757 पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे। चुनाव में 90 हजार कर्मचारियों की जरूरत होगी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए चुनाव आयोग ने खास इंतजाम किए हैं। दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी ने जानकारी दी है कि दिल्ली में पुरुष मतदाताओं की तादाद 80,55,686 है, जबकि 66,35,635 महिला मतदाता हैं। राष्ट्रीय राजधानी में 815 मतदाता थर्ड जेंडर के हैं, जबकि NRI मतदाताओं की संख्या 489 है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कुल मतदाताओं में से 2,08,883 मतदाता 18 से 19 साल के बीच हैं, यानी ये लोग पहली बार मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
किस पार्टी का क्या है मुद्दा?आम आदमी पार्टीसत्ताधारी दल इस बार अपने पांच साल के काम पर आगे बढ़ रहा है। जिसमें मुफ्त बिजली-पानी, स्कूल, मोहल्ला क्लीनिक को फ्रंट पर रखकर एक बार फिर सरकार बनाने का दावा ठोका जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी2019 में बीजेपी एक बार फिर चुनाव जीतकर आई है, ऐसे में उसे उम्मीद है कि कुछ मोदी मैजिक काम आएगा। हाल ही में अनाधिकृत कॉलोनियों को मोदी सरकार ने पक्का किया है, जिसे बीजेपी भुनाना चाहेगी। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सातों लोकसभा सीटें जीती थीं। हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार ना होना बीजेपी के लिए हानिकारक हो सकता है।
कांग्रेसकांग्रेस पार्टी ने 2015 में खाता भी नहीं खोला था, ऐसे में इस चुनाव में उसकी कोशिश कुछ सीटें जीतनी की तो होंगी। इसके अलावा पार्टी ने कुछ लोकलुभावन वादे भी किए हैं, जिसके जरिए वह दिल्ली में खाता खोलने की उम्मीद लगाए हुए है।