राजनांदगांव : जिले में पहली बार मिली किसी को मौत की सजा, मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद की थी हत्या

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की पोक्सो कोर्ट ने एक साल तक चली सुनवाई के बाद साढ़े तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म करने और उसकी हत्या करने के आरोपी को मौत की सजा सुनाई हैं। इस जिले में यह पहली बार हैं जब किसी को मौत की सजा सुनाई गई हैं। पोक्सो कोर्ट के जज शैलेश शर्मा ने आरोपी को फांसी की सजा दी थी। 120 पन्नों के फैसले में शर्मा ने कहा जब एक बच्चे के साथ दुष्कर्म होता है, तो उसकी आत्मा की हत्या कर दी जाती है और जब उसे शारीरिक रूप से मार दिया जाता है, तो यह आत्मा का कंपा देती है।

दरअसल, राजनांदगांव के कोतवाली क्षेत्र स्थित कांकेतरा गांव में 22 अगस्त 2020 को एक साढ़े तीन साल की बच्ची लापता हो गई थी। गुमशुदगी दर्ज होने पर पुलिस ने तलाश शुरू की तो पूछताछ में पता चला कि घर से करीब 100 मीटर दूर रहने वाले शेखर कोर्राम को उसके साथ देखा गया है। इस पर पुलिस ने देर शाम संदिग्ध मानकर शेखर के घर दबिश दी। तलाशी के दौरान वहां खटिया और दीवार के बीच मासूम बच्ची का शव पाया गया। आरोपी ने बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर अपने साथ ले गया था। घर पहुंचने के बाद आरोपी ने मासूम बच्ची के साथ पहले दुष्कर्म किया और फिर तकिया से उसका गला घोंट दिया जिससे उसकी मौत हो गई। घटना को अंजाम देने के बाद बच्ची के शव को उसने खाट के नीचे धकेल दिया और बाद में अनजान बनकर उसके माता-पिता के साथ मिलकर उसको तलाश किया।

फास्ट ट्रैक एडीजे कोर्ट ने एक साल तक चली सुनवाई के बाद सोमवार को शेखर कोर्राम को मौत की सजा सुनाई गई। पोक्सो के लिए विशेष सरकारी अभियोजक, परवेज अख्तर ने कहा कि यह पहली बार है कि राजनांदगांव की एक पोक्सो अदालत में दुष्कर्म के आरोपी को मौत की सजा दी गई है। वकील ने कहा कि हमने आरोपी शेखर कोरम के डीएनए नमूने के फोरेंसिक लैब परीक्षण की मांग की थी, जिसका मिलान और सत्यापन किया गया था।