केंद्रीय कैबिनेट ने 21 अप्रैल को 12 साल की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों मामलों में मौत की सजा को मंजूरी दी थी। जिसके बाद आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश, 2018 में आईपीसी और साक्ष्य अधिनियम कानून, आपराधिक कानून प्रक्रिया संहिता(सीआरपीसी) तथा पॉक्सो (बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण कानून) में संशोधन कर ऐसे अपराध के दोषी को मौत की सजा से दंडित करने के नए प्रावधान जोड़े गए हैं। वही अब केंद्र सरकार ने 12 साल से कम्र उम्र के लड़के के साथ यौन उत्पीड़न करने वालों के लिए भी फांसी के प्रावधान की वकालत की है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसके लिए पॉक्सो एक्ट की धारा 4, 5 और 6 में संशोधन प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है।
मंत्रालय जल्द ही इसे कैबिनेट के पास भेजेगा। मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न पर मौत की सजा का प्रावधान नहीं है। लड़का और लड़की से यौन उत्पीड़न पर अलग-अलग सजा है। इसलिए सरकार चाहती है कि 12 साल से कम उम्र के लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न पर भी फांसी हो।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि पॉक्सो एक्ट लड़के और लड़कियों में भेद नहीं करता। हम 12 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की से रेप की घटना पर मृत्युदंड की सजा के लिए एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव कर रहे हैं। जल्द ही इसे कैबिनेट में लेकर जाएंगे। कैबिनेट की संस्तुति के बाद हम जल्द इसे विधेयक की शक्ल में संसद में पेश करेंगे। अभी एक्ट में आजीवन कारावास तक का प्रावधान है।
छह महीने में कानून बनाना जरूरीनियमों के तहत अध्यादेश के लागू होने पर संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएंगे। हालांकि, सरकार को छह महीने तक लागू रहता है। लेकिन संसद का सत्र शुरू होने पर उसी सत्र में अध्यादेश से संबंधित विधेयक पेश कर कानून पर मुहर लगवानी पड़ती है।
वरित न्याय सुनिश्चित हो सकेगीलड़के और लड़कियों के लिए समान प्रावधान लागू हुए तो मामलों में त्चरित न्याय सुनिश्चित होगी। इसके तहत राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और हाईकोर्ट से परामर्श कर फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे। जांच पूरी करने के लिए दो महीने की समयसीमा तय होगी। जांच पूरी होने के बाद निचली अदालत में सुनवाई दो महीने में ही पूरी होगी। अपीलीय अदालत में मामले को निपटाने के लिए छह महीने की समयसीमा निर्धारित होगी।