देश के कई राज्यों में नकदी की कमी का संकट मंडराने लगा है। कई राज्यों में एक बार फिर नोटबंदी जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं। इसका ज्यादातर असर गुजरात, बिहार और मध्य प्रदेश में देखने को मिला है। कैश की किल्लत से लोग परेशान हैं। बैंक इसे सामान्य बता रहे हैं लेकिन नोटबंदी के बाद काफी संख्या में नोटों के सर्कुलेशन में आने के बावजूद यह हालात किसी आर्थिक संकट की ओर इशारा तो नहीं कर रहे हैं। वही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एटीएम में कैश की तंगी को स्वीकार किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश के अलग-अलग हिस्सों में एटीएम ‘आउट ऑफ कैश’ हो चुके हैं। गुरुग्राम में करीब 80 फीसदी एटीएम कैशलेस हो गए हैं। सभी जगहों पर या तो एटीएम में कैश नहीं है या फिर वह खराब पड़े हैं। बैंक एटीएम के शटर डाउन कर लोगों से खेद जता रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में भी कैश की किल्लत देखने को मिली है। लोग एटीएम के चक्कर काट रहे हैं। कैश की कमी को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इन राज्यों में नकदी की आपूर्ति दुरुस्त करने के लिए कदम उठाए हैं और उम्मीद जताई है कि जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे।
वहीं एक चैनल ने रिजर्व बैंक के सूत्रों के हवाले बताया है कि असम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में लोगों के जरूरत से ज्यादा नकदी निकालने की वजह से यह संकट खड़ा हुआ है। रिजर्व बैंक के सूत्रों ने बताया है कि त्योहारी मांग की वजह से कैश की कमी हुई है। जितनी जरूरत थी उतना कैश सप्लाई नहीं हुआ है लेकिन स्थिति अब सामान्य हो रही है। रिजर्व बैंक के मुताबिक एक दो दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।
कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार पर तंज कस रही है तो बीजेपी नेता इसे महज अफवाह बता रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘16.5 लाख करोड़ नोट छापे गए और मार्केट में सर्कुलेट हो चुके हैं, लेकिन 2000 के नोट कहां जा रहे हैं? कौन लोग नकदी संकट जैसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं? देश में नकदी संकट पैदा करने की साजिश चल रही है और राज्य सरकार सख्त कदम उठाएगी। हम केंद्र सरकार के संपर्क में भी हैं।’
बताते चलें कि नोटबंदी के बाद करीब 5 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोट जारी किए गए थे। RBI के डेटा के मुताबिक, बीते 6 अप्रैल को 18.2 लाख करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थी। यह आंकड़ा नोटबंदी से पहले प्रचलित मुद्रा के लगभग बराबर था। बैंकों का कहना है कि जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं तो भी इस तरह कैश की कमी सामने आती है। हालांकि यह स्थिति बेहद सामान्य होती है और जल्द ही मार्केट में फैली करेंसी फिर से चलन में आ जाती है।