बच्चों को कोरोना वैक्सीनेशन देने के लिए सरकार बना रही रणनीति, भारत बायोटेक बच्चों में कर रही ट्रायल

कोरोना की दूसरी लहर अब शांत हो चुकी हैं और तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही हैं जिसमें बच्चों को खतरा होना बताया जा रहा हैं। ऐसे में युवाओं के बाद अब सरकार बच्चो को वैक्सीन लगाने की रणनीति बना रही हैं जिसके लिए भारत बायोटेक बच्चों में वैक्सीन का ट्रायल भी कर रही हैं। सरकार 12-18 वर्ष आयु वर्ग के 1 करोड़ 30 लाख बच्चों के 80 प्रतिशत को आक्रामक रूप से टीका लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक 12-15 वर्ष की आयु के किशोरों में इस्तेमाल के लिए यूरोपीय संघ में फाइजर के mRNA वैक्सीन की टेस्टिंग का अप्रूवल मिला है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, भारत बच्चों के लिए कोवैक्सिन बनाने के लिए स्वदेशी क्षमता का उपयोग कर सकता है। भारत बायोटेक (Bharat Biotech) इसका अभी भी बच्चों में ट्रायल कर रही है।

4 जून को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान नीति आयोग के सदस्य डॉ। विनोद के पॉल ने कहा था कि भारत में इस आयु वर्ग में लगभग 1 करोड़ 30 लाख बच्चे हैं। जाइडस कैडिला के ZyCov-D जैसे टीके भी बच्चों के लिए खुराक के एक हिस्से की सप्लाई कर सकते हैं। उन्होंने ब्रीफिंग में कहा था कि केंद्र को उम्मीद है कि जब अहमदाबाद स्थित कंपनी इसके लिए लाइसेंस मांगेगी, तो बच्चों को ZyCov-D दिया जा सकता है या नहीं, इस पर भी पर्याप्त डेटा मिल जाएगा। उन्होंने जो समयसीमा दी है, उसके अनुसार जाइडस अगले सप्ताह तक भारतीय नियामक से अपने आवेदन पर मंजूरी मिलने की उम्मीद कर रहा है।

अधिकारी ने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि भले ही फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन का उपयोग केवल बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए किया जाए, फिर भी इसकी सप्लाई जरूरत से बहुत कम होगी। इस बात को लेकर भी अनिश्चितता है कि फाइजर के टीके वास्तव में भारत में कितनी जल्दी आ सकते हैं। जबकि यहां के ड्रग कंट्रोलर ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इस बारे में भारत बायोटेक के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी बड़े ऑर्डर को पूरा करने में सक्षम हैं। हैदराबाद मुख्यालय वाली वैक्सीन बनाने वाली कंपनी को 2 से 18 साल की उम्र के लोगों में इसके टीके, कोवैक्सिन का ट्रायल करने की अनुमति मिली है। अगर ट्रायल सफल होते हैं, तो यह वैक्सीन को अधिक व्यापक आबादी को कवर करने की अनुमति देगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, 80 प्रतिशत कवरेज रणनीति के तहत सरकार को इस समूह को प्रभावी ढंग से बचाने के लिए 1 करोड़ 4 लाख बच्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त टीकों की योजना बनानी होगी। इसलिए, इस प्रैक्टिस के लिए दो-खुराक वाले टीके की कम से कम 2 करोड़ 8 लाख खुराक की जरूरत है। तीन-खुराक वाले टीके के मामले में डोज की जरूरत बहुत अधिक होगी। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अभी हम फाइजर के साथ बातचीत कर रहे हैं। इस बिंदु पर कुछ भी निश्चित नहीं है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि टीका कब आता है और उस समय हमारी क्या प्राथमिकताएं हैं। भारत में 25 करोड़ से ज्यादा टीके अब तक 18 साल से ऊपर के लोगों को लगाये जा चुके हैं।

अधिकारी ने कहा, 'हमें उनसे (फाइजर) पांच करोड़ (50 मिलियन) खुराक मिल रही है। क्योंकि, 12-18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की संख्या बहुत अधिक होने का अनुमान है।' अधिकारी ने कहा,' उस समय तक, अगर हमारे पास कोवैक्सिन की उपलब्धता हो जाती है, तो यह बहुत बेहतर है।'