ग्रामीण भारत पर पड़ी कोरोना के दूसरी लहर की चौगुनी मार, मौत और संक्रमण के आंकड़े बेहद भयावह

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मार ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में पड़ रही है। यहां हालात बेहद खराब होते जा रहे है। बीते साल के मुकाबले इन इलाकों में संक्रमण के मामलों में चार गुना का इजाफा हुआ है। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैकवार्ड रीजन ग्रांट फंड यानि BRGF के तहत आने वाले जिलों में से 243 का डेटा बताता है कि यहां 16 सितंबर 2020 को पहली लहर के चरम पर संक्रमण का आंकड़ा 9.5 लाख था वहीं, अब 5 मई को यह बढ़कर 39.16 लाख से ज्यादा हो गया है। इन जिलों में फिलहाल 7.15 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। लगातार बढ़ते मरीजों की वजह से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था भी खासी प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन 272 जिलों में से ज्यादातर में केवल बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं ही हैं। राज्यों की तरफ से नई संरचना अधिकांश तौर पर बड़े शहरों में की जा रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि इन क्षेत्रों के लोग इलाज के लिए शहरों का रुख कर रहे हैं और पहले से ही भारी दबाव का सामना कर रहे शहरी अस्पतालों में व्यवस्था पर तनाव और बढ़ रहा है।

संक्रमण के साथ-साथ इससे होने वाली मौतों का भी आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। 16 सितंबर 2020 तक इन जिलों में कुल 9 हजार 555 मौतें हुई थीं। लेकिन 5 मई को 243 जिलों को मिलाकर मौत के बढ़कर 36,523 पर पहुंच गया है यानी, पहली लहर में प्राप्त हुए आंकड़ों से यह संख्या करीब 4 गुना है।

खास बात है कि BRGF में दर्ज 272 जिलों में से करीब 54% जिले केवल 5 राज्यों में हैं।

राज्य - जिले

बिहार - 38
उत्तर प्रदेश - 35
मध्य प्रदेश - 30
झारखंड - 23
ओडिशा - 20

देश के कई शहरी इलाकों इन राज्यों के प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पहली लहर की तुलना में इन क्षेत्रों में संक्रमण का प्रतिशत उतना ही बना हुआ है, लेकिन इन जिलों में मौत की संख्या तेजी आई है। बीते साल 16 सितंबर तक इन जिलों में राष्ट्रीय स्तर पर 11.5% मौतें थीं। जबकि, 5 मई के आंकड़ों पर नजर डाले तो यह बढ़कर 16% पर पहुंच गया।