PM Cares Fund में कितना पैसा? नहीं बताना चाहती केंद्र सरकार, याचिका खारिज की मांग

कोरोना वायरस संकट के दौरान बनाए गए पीएम केयर ट्रस्ट में कितने पैसे मिले हैं इसको सार्वजनिक करने से केंद्र सरकार ने साफ मना कर दिया है। इतना ही नहीं इस मांग से जुड़ी एक याचिका को रद्द करने के लिए सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मांग की है। पीएम केयर एक पब्लिक ट्रस्ट है और केंद्र ने लोगों से मदद पाने की गरज से इस फंड का गठन किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बुधवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच को कहा कि वकील अरविंद वाघमारे द्वारा दाखिल की गई याचिका को खारिज किया जाए।अनिल सिंह ने जस्टिस एस बी शुकरे और जस्टिस ए एस किलोर की खंडपीठ को बताया कि अप्रैल में पीएम केयर ट्रस्ट के गठन को चुनौती देने वाली ऐसी ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हालांकि अदालत ने कहा कि इस याचिका की मांग कुछ अलग तरह की है। अदालत ने केंद्र सरकार को एक हलफनामा देकर यह बताने को कहा कि इस मुद्दे पर उसका क्या रुख है। अदालत ने इसके लिए केंद्र को दो हफ्ते का समय दिया है।


वेबसाइट पर दें खर्च और दान की जानकारी

अरविंद वाघमारे ने अपनी याचिका में मांग की है कि सरकार आधिकारिक वेबसाइट पर इस बात की जानकारी दे कि उसे इस फंड में अबतक कितनी राशि मिली है और उसने कितना खर्च किया है। महाराष्ट्र टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक इसके पहले पीएम केयर फंड की स्थापना पर सवाल उठाने वाली दो याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। लेकिन अरविंद वाघमारे में अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें पीएम केयर फंड ट्रस्ट की स्थापना पर कोई आपत्ति नहीं है बल्कि उन्होंने स्वयं इसमें कुछ राशि दान की है।

याचिका के मुताबिक पीएम केयर ट्रस्ट के चेयरपर्सन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जबकि रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं। नियमों के मुताबिक इस ट्रस्ट के चेयरपर्सन को 3 और ट्रस्टियों की नियुक्ति करनी होती है अथवा उन्हें मनोनीत करना पड़ता है। हालांकि याचिका में दावा किया गया है कि 28 मार्च को इस ट्रस्ट के गठन के बाद अबतक किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की गई है।

उन्होंने न्यायालय से कहा कि इस फंड में पूरे देश से पैसे जमा किये गये हैं। इसलिए इसमें अभी तक जरूरी सामाजिक प्रतिनिधियों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई। पूरे देश से जमा किये गये इस फंड में से कितना लाभ राज्यों को मिलेगा। इस निधि से होने वाला खर्च जनता के सामने लाने के लिए इसका कैग के जरिये ऑडिट भी किया जाना चाहिए यह निवेदन भी इस याचिका में कोर्ट से किया गया है। याचिका कर्ता ने मांग की है कि अदालत सरकार और ट्रस्ट को निर्देश दे कि विपक्षी दलों से कम से कम 2 सदस्यों की नियुक्ति इसमें की जाए, ताकि इस ट्रस्ट में पारदर्शिता बरकरार रहे।

सरकार जवाब 2 हफ्तों के अंदर पेश करे

इस बीच केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने वाघमारे की याचिका का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि इन मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही याचिका निरस्त कर दी है, ऐसे में इन्हीं मुद्दों पर हाईकोर्ट द्वारा नये सिरे से नई याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को नकारते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर मुद्दों को हम नजरअंदाज करेंगे लेकिन इस ट्रस्ट में 3 लोगों की नियुक्ति क्यों नहीं हुई और इसमें जमा हुई निधि को किस तरह खर्च किया जायेगा, जनता को यह जानने का अधिकार है इसलिए सरकार इन दो मुद्दों पर अपना जवाब 2 हफ्तों के अंदर पेश करे।